DeepSeek AI: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) को लेकर इन दिनों दुनियाभर में कई चर्चाएं हो रही हैं, और इस संदर्भ में चीन द्वारा लॉन्च किए गए दीपसीक (DeepSeek) ए.आई. टूल ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचाई है। ओपनएआई के चैटजीपीटी (ChatGPT) से प्रतिस्पर्धा करने के लिए चीनी कंपनी ने दीपसीक को पेश किया है। लेकिन इस टूल की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं, और अब इस पर दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी ने भी एक बड़ा अलर्ट जारी किया है। दीपसीक के डेटा प्राइवेसी को लेकर उठ रही चिंताओं ने फिर से सवाल उठाए हैं कि यह टूल कितनी सुरक्षित है और इसका उपयोग करना कितना जोखिम भरा हो सकता है।
क्या है दीपसीक ए.आई. और क्यों है यह विवादों में?
दीपसीक ए.आई. एक चैटबॉट टूल है जिसे चीन की एक कंपनी द्वारा विकसित किया गया है। यह चैटजीपीटी की तरह काम करता है, लेकिन इसकी लागत कम होने के कारण यह बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। हालाँकि, दीपसीक की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं, खासकर डेटा प्राइवेसी के संदर्भ में। कई देशों ने इसकी सुरक्षा खामियों के कारण इसे अपने यहां प्रतिबंधित कर दिया है।
दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी का अलर्ट
दक्षिण कोरिया की नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस (NIS) ने दीपसीक के उपयोग को लेकर एक बड़ा अलर्ट जारी किया है। खुफिया एजेंसी ने सभी सरकारी संस्थाओं को चेतावनी दी है कि वे दीपसीक ए.आई. टूल का उपयोग करते समय पूरी सतर्कता बरतें। NIS का कहना है कि यह चैटबॉट उपयोगकर्ताओं के चैट रिकॉर्ड को एकत्रित कर सकता है, और इस डेटा को चीनी कंपनियों के सर्वर तक भेजा जा सकता है। इसके अलावा, इस चैटबॉट में कीबोर्ड इन्पुट पैटर्न को पहचानने की क्षमता है, जिससे यह उपयोगकर्ताओं की पहचान आसानी से कर सकता है।
चीन सरकार की डेटा तक पहुंच और सुरक्षा खामियां
दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया है कि दीपसीक ए.आई. टूल उपयोगकर्ताओं के डेटा को चीनी सर्वरों पर स्टोर करता है, और चीनी कानून के तहत यदि चीनी सरकार को इसकी आवश्यकता होती है, तो वह इस डेटा तक पहुंच बना सकती है। यह सुरक्षा खामी खासतौर पर चिंताजनक है, क्योंकि यह डेटा उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत विवरण, बातचीत और अन्य संवेदनशील जानकारी से संबंधित हो सकता है।
NIS ने कहा कि इस ए.आई. टूल द्वारा दिए गए कुछ उत्तर भाषाओं के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, खासकर जब यह संवेदनशील मुद्दों पर बात करता है। यह दर्शाता है कि दीपसीक का उपयोग करने से कुछ मुद्दों पर गलत जानकारी या पक्षपाती उत्तर मिल सकते हैं, जो कि एक और सुरक्षा खतरे को जन्म दे सकता है।
दक्षिण कोरिया ने पहले ही लगा दी है रोक
दक्षिण कोरिया पहले ही दीपसीक ए.आई. चैटबॉट पर सुरक्षा कारणों से प्रतिबंध लगा चुका है। इसके अलावा, खुफिया एजेंसी ने सरकारी संस्थाओं को निर्देशित किया है कि वे इस टूल का उपयोग न करें और इससे जुड़ी सभी संवेदनशील जानकारी को लेकर सतर्क रहें। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस चैटबॉट के माध्यम से किसी भी प्रकार की जानकारी चीनी सर्वरों तक पहुंच सकती है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी हो सकता है।
सुरक्षा के मुद्दे पर सवाल उठाते अन्य देश
दक्षिण कोरिया अकेला ऐसा देश नहीं है जिसने दीपसीक ए.आई. टूल पर चिंता जताई है। कई अन्य देशों ने भी इसकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं। इन देशों ने डेटा प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में दीपसीक पर प्रतिबंध लगाने के कदम उठाए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से चीन के कानूनों के तहत चीनी सरकार को कंपनियों से डेटा प्राप्त करने का अधिकार है, उससे यह साफ है कि किसी भी उपयोगकर्ता का व्यक्तिगत डेटा चीनी सरकार तक पहुंच सकता है। इसके परिणामस्वरूप, उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
दीपसीक के वैश्विक प्रभाव और भविष्य
दीपसीक ए.आई. टूल की बढ़ती लोकप्रियता और इसकी कम लागत ने इसे एक आकर्षक विकल्प बना दिया है, लेकिन इसकी सुरक्षा खामियों को लेकर चिंता बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस टूल का वैश्विक स्तर पर प्रभाव और लोकप्रियता सिर्फ इसलिए है क्योंकि यह कम लागत में उपलब्ध है, लेकिन इसकी सुरक्षा की स्थिति बहुत खतरनाक हो सकती है।
कुछ देशों ने इसे अपनी सुरक्षा और गोपनीयता के लिहाज से प्रतिबंधित किया है, जबकि अन्य देश इसके सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर रहे हैं। इसके बावजूद, यह महत्वपूर्ण है कि उपयोगकर्ता अपनी सुरक्षा के लिए इस टूल का उपयोग करने से पहले पूरी तरह से सावधान रहें और यह सुनिश्चित करें कि उनका डेटा सुरक्षित रहेगा।
दीपसीक ए.आई. टूल की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद, इसके सुरक्षा खामियों और डेटा प्राइवेसी को लेकर उठ रहे सवाल गंभीर चिंता का विषय हैं। दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी ने जो अलर्ट जारी किया है, वह दर्शाता है कि इस टूल के उपयोग में कई जोखिम हो सकते हैं। अन्य देशों को भी इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका डेटा सुरक्षित रहे। ऐसे में उपयोगकर्ताओं को इस टूल के प्रयोग में पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए और सरकारी एजेंसियों को भी इस मामले में सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए।