साल 2003 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘Baghban‘ हिंदी सिनेमा की सबसे भावनात्मक फिल्मों में से एक मानी जाती है। इस फिल्म की कहानी आज भी लोगों को भावुक कर देती है। अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की शानदार जोड़ी ने इस फिल्म में राज और पूजा मल्होत्रा का किरदार निभाया था, जो समाज में बुजुर्ग माता-पिता के प्रति बच्चों के बदलते व्यवहार पर एक गहरा संदेश देती है।
इस फिल्म का निर्देशन रवि चोपड़ा ने किया था, और इसे दर्शकों से जबरदस्त प्यार मिला। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी शानदार कमाई की थी। 10 करोड़ के बजट में बनी ‘बागबान’ ने 43 करोड़ से अधिक की कमाई की थी।
हाल ही में, रवि चोपड़ा की पत्नी रेणु चोपड़ा ने एक इंटरव्यू में फिल्म से जुड़ी कई अनकही बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि हेमा मालिनी इस फिल्म को लेकर बेहद उत्साहित थीं और उन्होंने एक रोमांटिक सीन को लेकर खास सलाह भी दी थी।
हेमा मालिनी ने रखी थी ब्लाउज़ टाइट करने की शर्त
रेणु चोपड़ा ने Pinkvilla को दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि हेमा मालिनी फिल्म में अपने किरदार को लेकर बेहद संजीदा थीं। उन्होंने फिल्म में राज और पूजा के रिश्ते को वास्तविक और खूबसूरत तरीके से पेश करने के लिए कई सुझाव दिए। इस दौरान उन्होंने एक दिलचस्प किस्सा भी साझा किया।
उन्होंने बताया, “फिल्म के एक सीन में पूजा (हेमा मालिनी) शीशे के सामने खड़ी होकर तैयार हो रही होती है। तभी राज (अमिताभ बच्चन) पीछे से आते हैं और उन्हें देखकर ‘वाह’ कहते हैं। इस सीन को प्रभावशाली बनाने के लिए हेमा जी ने मुझसे कहा कि उनका ब्लाउज़ थोड़ा टाइट करवा दिया जाए।”
हेमा मालिनी ने कहा, “जब अमित जी आएंगे, तो उन्हें मेरे ब्लाउज़ की डोरी बांधनी होगी। इससे एक स्वाभाविक रोमांटिक टच मिलेगा, जिससे यह दर्शकों को और वास्तविक लगेगा।”
“यह स्पर्श मेरे लिए बहुत मायने रखता है,” हेमा जी ने आगे कहा। “इतने सालों की शादी के बाद भी यह रिश्ता जीवंत दिखना चाहिए।”
रेणु चोपड़ा ने यह भी बताया कि हेमा मालिनी असल जिंदगी में भी बहुत रोमांटिक हैं और उनका मानना था कि यह छोटी-छोटी चीजें फिल्म के दृश्यों को और भी शानदार बनाती हैं।
फिल्म ‘Baghban’ करने के लिए मां ने दी थी हिम्मत
हेमा मालिनी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने यह फिल्म अपनी मां की सलाह पर की थी। उन्होंने कहा, “जब रवि चोपड़ा जी मुझे इस फिल्म की कहानी सुनाने आए, तो मेरी मां भी मेरे साथ बैठी थीं। जब वह चले गए, तो मैंने मां से कहा, ‘वे मुझे चार बड़े बच्चों की मां बनने के लिए कह रहे हैं। मैं यह रोल कैसे कर सकती हूं?’
लेकिन उनकी मां ने तुरंत जवाब दिया, “नहीं-नहीं, तुम्हें यह फिल्म करनी चाहिए। इसकी कहानी बहुत अच्छी है।”
हेमा मालिनी ने आगे बताया कि उनकी मां का हमेशा से मानना था कि अच्छी स्क्रिप्ट ही किसी फिल्म को हिट बनाती है। और यही वजह थी कि उन्होंने बिना किसी झिझक के ‘बागबान’ में काम करने का फैसला किया।
फिल्म की सफलता और दर्शकों की प्रतिक्रिया
‘बागबान’ को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। इस फिल्म की कहानी ने कई माता-पिता को झकझोर कर रख दिया। खासकर राज और पूजा के किरदारों ने हर किसी के दिल को छू लिया।
फिल्म के कुछ डायलॉग आज भी लोगों के ज़ेहन में ताजा हैं, जैसे:
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“मां-बाप अपने बच्चों को पालने के लिए पूरी जिंदगी लगा देते हैं, लेकिन जब वही मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं, तो बच्चों के पास उनके लिए वक्त नहीं होता!”
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“अगर आपने अपने माता-पिता को दुख दिया है, तो समझ लीजिए कि आपका भी बुढ़ापा बहुत बुरा बीतेगा!”
इन डायलॉग्स ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया और फिल्म परिवारिक मूल्यों और संस्कारों का प्रतीक बन गई।
सलमान खान का किरदार: परिवार से बढ़कर रिश्ता
फिल्म में सलमान खान ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने अलौकिक (गोद लिए हुए बेटे) का किरदार निभाया था, जो राज और पूजा को अपने माता-पिता से भी बढ़कर मानता है।
फिल्म में सलमान का एक डायलॉग था: “रिश्ते खून से नहीं, प्यार से बनते हैं।” इस संवाद ने लोगों के दिलों को छू लिया।
फिल्म का संगीत: हर गीत था यादगार
‘बागबान’ की संगीत एलबम भी सुपरहिट रही। इसके गाने “मैं यहां तू वहां”, “हल्ला रे”, और “चली चली फिर चली” को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। “मैं यहां तू वहां” गाना खासकर बेहद भावुक कर देने वाला था, जिसमें राज और पूजा एक-दूसरे से अलग हो जाने के बाद दर्द महसूस कर रहे होते हैं।
‘बागबान’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सीख थी
‘बागबान’ सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, बल्कि यह एक संदेश था उन बच्चों के लिए जो अपने माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भूल जाते हैं। हेमा मालिनी और अमिताभ बच्चन ने अपने शानदार अभिनय से राज और पूजा के किरदारों को अमर बना दिया।
हेमा जी का यह कहना कि “ब्लाउज़ टाइट होना चाहिए ताकि स्पर्श का अहसास हो”, यह साबित करता है कि वह अपनी हर भूमिका को कितनी गहराई से निभाती हैं। फिल्म ने यह भी सिखाया कि रिश्तों को मजबूती देने के लिए प्यार और इज्जत जरूरी होती है, ना कि सिर्फ खून का रिश्ता।
आज भी जब यह फिल्म टीवी पर आती है, तो लोग इसे भावुक होकर देखते हैं। क्योंकि ‘बागबान‘ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि हर माता-पिता की सच्चाई है।