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Thursday, May 15, 2025
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क्या फायदेमंद है पेट्रोल एक्टिवा को इलेक्ट्रिक में बदलना? जानिए रेट्रोफिटिंग के फायदे और नुकसान

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। खासकर स्कूटर्स की बात करें, तो Ather, Ola, TVS iQube और Bajaj Chetak जैसे ब्रांड्स ने बाजार में अच्छी पकड़ बना ली है। ऐसे में कुछ लोग पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से बचने के लिए अपने पुराने स्कूटर्स जैसे एक्टिवा को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट कराने का विचार कर रहे हैं। इस प्रक्रिया को रेट्रोफिटिंग (Retrofit) कहा जाता है। लेकिन क्या ये सच में फायदे का सौदा है? आइए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान।

कैसे बनता है पेट्रोल स्कूटर इलेक्ट्रिक?

रेट्रोफिटिंग के तहत पेट्रोल इंजन को पूरी तरह हटाकर उसकी जगह इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी, और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS) लगाया जाता है। आमतौर पर यह काम 25,000 से लेकर 50,000 रुपये या उससे भी अधिक में किया जाता है, जो बैटरी की क्षमता और टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है।

रेट्रोफिटिंग के फायदे:

  1. पेट्रोल खर्च से राहत:
    इलेक्ट्रिक स्कूटर को चार्ज करने में बहुत कम बिजली लगती है, जिससे रोज़ाना के खर्च में भारी कमी आती है।

  2. कम रखरखाव खर्च:
    इलेक्ट्रिक मोटर में कोई इंजन ऑयल, गियर ऑयल या क्लच सिस्टम नहीं होता, जिससे मेंटेनेंस लगभग न के बराबर होता है।

  3. पर्यावरण के लिए बेहतर:
    इलेक्ट्रिक व्हीकल्स जीरो एमिशन पर चलते हैं, यानी प्रदूषण नहीं करते। इससे पर्यावरण को फायदा होता है।

  4. सरकारी छूट और सब्सिडी:
    कुछ राज्यों में EVs पर सब्सिडी, रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन में छूट मिलती है।

  5. पुराने स्कूटर का दोबारा उपयोग:
    आपका पुराना स्कूटर फिर से रोड पर इस्तेमाल के लायक हो जाता है, जिससे नया स्कूटर खरीदने का खर्च बच सकता है।

रेट्रोफिटिंग के नुकसान:

  1. सीमित रेंज और पावर:
    अधिकतर कन्वर्टेड स्कूटर्स की रेंज केवल 50-80 किमी होती है, जो नए EV स्कूटर्स की तुलना में काफी कम है।

  2. चार्जिंग की समस्या:
    यदि आपके इलाके में चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं, तो केवल घर पर चार्ज करने का विकल्प रह जाता है, जो 4-6 घंटे या उससे ज्यादा ले सकता है।

  3. सेफ्टी और वैधता का खतरा:
    यदि यह काम बिना RTO अप्रूवल के होता है, तो वह गैरकानूनी माना जाएगा। ऐसे वाहन का चालान भी कट सकता है। साथ ही, अगर सही तरीके से मॉडिफाई न किया जाए, तो सेफ्टी रिस्क भी बना रहता है।

  4. वारंटी और विश्वसनीयता खत्म:
    पेट्रोल स्कूटर को मॉडिफाई करने के बाद उसकी मूल कंपनी की वारंटी खत्म हो जाती है।

  5. खर्च के बावजूद पुराना ही स्कूटर:
    ₹50,000 तक खर्च करने के बाद भी आप एक पुराने ढांचे वाले स्कूटर को चला रहे होते हैं, जबकि थोड़ी और लागत जोड़कर नया इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदना ज्यादा बेहतर सौदा हो सकता है।

अगर आप बेहद सीमित बजट में हैं और आपके पास पहले से एक अच्छा कंडीशन वाला स्कूटर है, तो रेट्रोफिटिंग एक विकल्प हो सकता है। लेकिन यदि आपकी प्राथमिकता रेंज, परफॉर्मेंस, सेफ्टी और लॉन्ग टर्म भरोसेमंद समाधान है, तो बेहतर है कि आप नया इलेक्ट्रिक स्कूटर ही खरीदें।

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