अमेरिका ने फिर से H-1B visa नियमों में बदलाव किया है। इस नए निर्णय से हजारों भारतीय पेशेवरों और छात्रों को बड़ी राहत मिलने वाली है। हाल ही में US राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की आवेदन शुल्क को 100,000 डॉलर तक बढ़ाने की घोषणा की थी। लेकिन अब USCIS ने स्पष्ट किया है कि अंतरराष्ट्रीय स्नातक और मौजूदा वीजाधारकों को यह भारी शुल्क नहीं देना होगा। यह कदम भारतीय तकनीकी पेशेवरों के लिए बहुत बड़ी राहत साबित हो रहा है।
किसे मिलेगी राहत
USCIS ने कहा कि अमेरिका में पहले से मौजूद H-1B वीजा धारकों को नए शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। इसमें F-1 स्टूडेंट वीजा धारक, L-1 इन्ट्रा-कंपनी ट्रांसफ्री और H-1B वीजा धारक शामिल हैं, जो अपने वीजा का नवीनीकरण या विस्तार करा रहे हैं। इस नई गाइडलाइन से स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका में पहले से रह रहे पेशेवरों और छात्रों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ का सामना नहीं करना पड़ेगा।

यात्रा पर कोई रोक नहीं
USCIS ने यह भी स्पष्ट किया कि यह घोषणा पहले से जारी और मान्य H-1B वीजा या 21 सितंबर 2025 की पूर्व 12:01 AM से पहले जमा की गई याचिकाओं पर लागू नहीं होगी। इसके साथ ही H-1B वीजा धारक अमेरिका में आने-जाने के लिए स्वतंत्र रहेंगे। यह फैसला उन भारतीय पेशेवरों के लिए खास राहत है, जो अमेरिका और भारत के बीच यात्रा करते हैं और अपने कार्य और परिवार की जिम्मेदारियों को संतुलित करना चाहते हैं।
भारतीय तकनीकी पेशेवरों के लिए बड़ी राहत
भारतीय तकनीकी पेशेवर H-1B वीजा कार्यक्रम की रीढ़ हैं। USCIS ने यह भी पुष्टि की है कि मौजूदा विदेशी नागरिक, जैसे F-1 वीजा पर पढ़ाई कर रहे छात्र, जो H-1B नौकरी के लिए स्थिति बदल रहे हैं, उन्हें भी 100,000 डॉलर का नया शुल्क नहीं देना होगा। इससे भारतीय आईटी और तकनीकी क्षेत्र के पेशेवरों को आर्थिक और मानसिक राहत मिली है।
भविष्य की उम्मीदें और प्रतिक्रिया
इस निर्णय के बाद भारतीय छात्रों और पेशेवरों में खुशी का माहौल है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे H-1B वीजा प्रोग्राम में भारत के पेशेवरों की भागीदारी और बढ़ेगी। इसके अलावा, यह कदम अमेरिका और भारत के बीच तकनीकी सहयोग को भी मजबूत करेगा। अब छात्र और पेशेवर बिना डर के अपने करियर और शिक्षा के लिए अमेरिका में अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।

