Supreme Court: हाल के दिनों में देश में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिन्होंने परिवार जैसी पवित्र संस्था को शर्मसार कर दिया है। मेरठ में एक पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी। कहीं पत्नी ने पति को मरवाने के लिए सुपारी किलर को हायर कर लिया। वहीं कई मामलों में पति ने पत्नी की हत्या कर दी या उसे घर से निकाल दिया।
निकिता सिंघानिया जैसे मामले बढ़े
हाल ही में निकिता सिंघानिया केस काफी चर्चा में रहा जिसमें एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली थी। ऐसा ही एक और मामला आगरा में भी सामने आया जहां एक व्यक्ति ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया। देश में लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिससे परिवार जैसी संस्था का महत्व कम होता जा रहा है।
Supreme Court की चिंता
इन घटनाओं के बीच Supreme Court ने परिवार के खत्म होते कॉन्सेप्ट को लेकर चिंता जताई है। कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि भारत में लोग वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत में विश्वास रखते हैं लेकिन अपने ही रिश्तेदारों के साथ रहना नहीं चाहते।
परिवार में बढ़ते विवाद
इस मामले में एक महिला ने Supreme Court में याचिका दायर कर अपने बड़े बेटे को घर और संपत्ति से बेदखल करने की मांग की थी। महिला ने बेटे पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था। 2017 में दंपति ने सुल्तानपुर की फैमिली कोर्ट में अपने बेटों के खिलाफ भरण-पोषण का केस दर्ज कराया था।
भरण-पोषण का आदेश
फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया कि बेटों को हर महीने अपने माता-पिता को भरण-पोषण के लिए 4 हजार रुपये देने होंगे। हालांकि Supreme Court ने सख्त फैसला लेने से इनकार कर दिया और कहा कि बच्चों को घर से निकालने जैसा कठोर कदम उठाने की जरूरत नहीं है।