देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव आयोग ने विशेष संशोधन (स्पेशल इंटेंसिव रिविजन– SIR) की दूसरी चरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया को लेकर तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में सियासी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा और संबंधित हाईकोर्ट को इस विषय में किसी भी कार्रवाई से रोक दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया और चुनाव आयोग से जवाब की मांग
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जॉयमलया बागची की पीठ ने चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि वे दो सप्ताह के भीतर तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में चल रही विशेष संशोधन प्रक्रिया (SIR) पर अपना जवाब दाखिल करें। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास और कोलकाता हाईकोर्ट को भी निर्देश दिए कि वे इस मामले में दायर याचिकाओं पर कोई भी कार्रवाई तत्काल न करें। यह कदम चुनाव आयोग की प्रक्रिया की वैधता और पारदर्शिता पर सवाल उठाने वाले सियासी दलों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।

SIR प्रक्रिया में शामिल 12 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश
चुनाव आयोग ने 27 अक्टूबर को 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की दूसरी चरण की घोषणा की थी, जो नवंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच संपन्न होगी। जिन राज्यों में यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है उनमें अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। खास बात यह है कि तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए यह संशोधन प्रक्रिया इन राज्यों में विशेष महत्व रखती है।
असम के लिए अलग SIR प्रक्रिया की घोषणा
असम में भी 2026 में चुनाव होने हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि असम के लिए चुनावी मतदाता सूची का संशोधन अलग से घोषित किया जाएगा। इसका मकसद असम की विशेष परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए वहां की जनता को अधिक बेहतर और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया मुहैया कराना है। इससे स्पष्ट होता है कि चुनाव आयोग सभी राज्यों की अलग-अलग जरूरतों के अनुसार रणनीति बना रहा है।
SIR प्रक्रिया की समय-सीमा और आगे की कार्यवाही
दूसरी चरण की SIR प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होकर 4 दिसंबर तक चलेगी। इसके बाद 9 दिसंबर को संशोधित मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी किया जाएगा। अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी। इस प्रक्रिया में नाम जोड़ने, हटाने और सुधार के लिए मतदाता ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन कर सकेंगे। इससे चुनावी तैयारी समय पर पूरी होगी और मतदाता सूची को पूरी तरह से अद्यतन किया जा सकेगा।
विशेष संशोधन प्रक्रिया देश में चुनावी प्रणाली की मजबूती और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अहम है। हालांकि, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में इसकी वैधता पर उठ रहे सवाल चुनाव आयोग के लिए चुनौती हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद यह आवश्यक हो गया है कि आयोग अपनी प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही दिखाए ताकि लोकतंत्र मजबूत बने और हर नागरिक का मत सही रूप से दर्ज हो। आने वाले विधानसभा चुनावों में यह संशोधित मतदाता सूची निर्णायक भूमिका निभाएगी।

