Repo Rate: भारत में वित्तीय वर्ष 2025 में ब्याज दरों में कमी की उम्मीदें तेजी से बढ़ रही हैं। यदि यह सच होता है तो इससे होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन और एजुकेशन लोन जैसे सभी प्रकार के लोन पर ब्याज दरें घट सकती हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा लोन धारकों को होगा क्योंकि इससे उनकी ईएमआई कम हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो दर में कटौती की संभावना जताई जा रही है।
2025 में ब्याज दरों में कमी का अनुमान
SBI रिसर्च की रिपोर्ट ‘Ecowrap’ के अनुसार, RBI इस साल के अंत तक रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। इसका असर विभिन्न लोन प्रकारों पर देखने को मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में अप्रैल, जून और अक्टूबर में होने वाली पॉलिसी बैठक में हर बार 0.25 प्रतिशत की कटौती की संभावना है। यह कटौती भारत में मौजूदा खुदरा महंगाई दर को देखते हुए की जा सकती है, जो अब काबू में आ गई है।
महंगाई में गिरावट और रेपो दर में कटौती
SBI रिसर्च के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की खुदरा महंगाई दर वर्तमान वित्तीय वर्ष के चौथे तिमाही में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं, पूरे वर्ष की औसत महंगाई दर 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। महंगाई में इस गिरावट को देखते हुए RBI द्वारा रेपो दर में कटौती की संभावना बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई नियंत्रण में रहने से RBI इस साल 0.75 प्रतिशत तक रेपो दर घटा सकता है।
इसका मतलब यह है कि अप्रैल और जून की पॉलिसी बैठक में लगातार दरों में कटौती हो सकती है। इसके बाद अक्टूबर 2025 से एक नया दौर शुरू हो सकता है, जहां फिर से ब्याज दरों में कमी की संभावना है।
फूड प्राइस में गिरावट और महंगाई में कमी
भारत में फरवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर 7 महीने के न्यूनतम स्तर 3.6 प्रतिशत पर आ गई। इसका मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई भारी गिरावट थी। फूड और बेवरेज महंगाई 3.84 प्रतिशत तक गिर गई, जिसमें सबसे बड़ा योगदान सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट का था। सब्जियों की महंगाई 20 महीने के बाद नकारात्मक हो गई, जिससे महंगाई दर में कमी आई।
विशेषज्ञों का मानना है कि महा कुंभ के कारण लहसुन की खपत में कमी आई, जबकि उपवास के दौरान फल की मांग बढ़ने से उनकी कीमतों में उछाल आया। इस प्रकार की घटनाओं से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट देखी गई और महंगाई दर में सुधार हुआ।
आगे का परिदृश्य
2025 के अंत में यदि ब्याज दरों में कमी होती है तो यह न केवल नए लोन लेने वालों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि पुराने लोन धारकों के लिए भी राहत का कारण बनेगा। उन लोगों को अपनी मौजूदा ईएमआई में कमी महसूस हो सकती है जो पहले से लोन चुका रहे हैं। हालांकि, महंगाई दर में कुछ समय के लिए हल्की बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है, लेकिन वह 4 प्रतिशत से 4.2 प्रतिशत के बीच रहेगी, जो कि RBI द्वारा लक्ष्य के तहत है।
सभी लोन धारकों के लिए यह एक शुभ संकेत है, क्योंकि रेपो दर में कटौती का सीधा असर बैंक लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है। इसके चलते होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन और एजुकेशन लोन की दरें घट सकती हैं, जिससे लोगों की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकता है।
भारत में 2025 में ब्याज दरों में कमी की संभावना से उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। RBI की रेपो दर में कटौती से लोन की ईएमआई घटने की उम्मीद है, जो पहले से लोन चुकता कर रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। इसके अलावा, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट और महंगाई में कमी ने भारतीय रिजर्व बैंक को निर्णय लेने में सहायता प्रदान की है।