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Saturday, November 15, 2025
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ओला इलेक्ट्रिक के CEO और वरिष्ठ अधिकारियों पर FIR, 38 वर्षीय इंजीनियर की आत्महत्या ने खोली गंभीर कहानी

बेंगलुरु में एक 38 वर्षीय इंजीनियर की आत्महत्या ने ओला इलेक्ट्रिक के अंदर गंभीर विवाद पैदा कर दिया है। मृतक ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था। बेंगलुरु पुलिस ने ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ भाविष अग्रवाल और वरिष्ठ अधिकारी सुभ्रत कुमार दास के खिलाफ मामले दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि मामला कर्मचारी की आत्महत्या में उत्पीड़न और मदद करने के आरोप में दर्ज किया गया है।

कर्मचारी की पहचान और घटना का विवरण

मृतक इंजीनियर की पहचान के. अरविंद के रूप में हुई। वह 2022 से ओला इलेक्ट्रिक, कोरमंगला में काम कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, अरविंद ने 28 सितंबर को अपने अपार्टमेंट में आत्महत्या का प्रयास किया। उन्हें महाराजा अग्रसेन अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस को उनके कमरे से 28 पृष्ठों का सुसाइड नोट मिला, जिसमें उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न और वेतन व भत्ते न मिलने का आरोप लगाया।

ओला इलेक्ट्रिक के CEO और वरिष्ठ अधिकारियों पर FIR, 38 वर्षीय इंजीनियर की आत्महत्या ने खोली गंभीर कहानी

कंपनी का बयान और कानूनी कदम

ओला इलेक्ट्रिक ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि वे पूरी तरह से जांच में सहयोग कर रहे हैं। कंपनी ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने संस्थापक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देने के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया है। कंपनी ने अपने बयान में कहा, “हम अपने सहयोगी अरविंद के दुखद निधन से गहरे शोक में हैं और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।”

परिवार का दर्द और शिकायत

मृतक इंजीनियर के भाई, अश्विन कन्नन ने शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उनके भाई ने मानसिक उत्पीड़न और वेतन न मिलने के कारण खुदकुशी करने का प्रयास किया। इस घटना ने परिवार में गहरा शोक और सदमे का माहौल बना दिया। पुलिस मामले की जांच कर रही है और आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई है।

मामले का सामाजिक और कानूनी प्रभाव

इस घटना ने देशभर में कार्यस्थल पर मानसिक उत्पीड़न और कर्मचारियों के अधिकारों पर बहस को बढ़ा दिया है। कर्मचारी कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे अब गंभीरता से उठने लगे हैं। यह मामला न केवल ओला इलेक्ट्रिक के लिए चुनौती है बल्कि सभी कंपनियों को अपने कार्यस्थल पर कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील होने की सीख देता है। समाज और कानून के लिए यह चेतावनी भी है कि मानसिक उत्पीड़न को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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