भारत की वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने रविवार को भारतीय रुपये की विनिमय दर में गिरावट पर आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह केवल डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है, जबकि अन्य सभी मुद्राओं के मुकाबले रुपये की स्थिति स्थिर बनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि रुपये की हालिया कमजोरी की वजह सिर्फ डॉलर की मजबूती है, और भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी सिद्धांतों की वजह से रुपये की स्थिति अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत बनी हुई है।
रुपये में गिरावट का कारण डॉलर की मजबूती
वित्त मंत्री सीतारमण ने यह बयान उस समय दिया जब भारतीय रुपया पिछले कुछ महीनों से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले दबाव में रहा है। उन्होंने कहा कि रुपये की अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तीन प्रतिशत गिरावट चिंता का विषय है, क्योंकि इससे आयात महंगे हो गए हैं, लेकिन यह कहना गलत है कि रुपये की विनिमय दर हर तरफ गिर रही है। सीतारमण ने स्पष्ट किया, “मैं रुपये की गिरावट को लेकर चिंतित हूं, लेकिन मैं इस आलोचना को स्वीकार नहीं करूंगी कि रुपये की विनिमय दर कमजोर हो गई है। हमारे मैक्रोइकोनॉमिक बुनियादी सिद्धांत मजबूत हैं। यदि बुनियादी सिद्धांत कमजोर होते, तो रुपया अन्य मुद्राओं के मुकाबले स्थिर नहीं होता।”
वित्त मंत्री का स्पष्ट संदेश
सीतारमण ने इस मुद्दे पर बात करते हुए यह भी कहा कि रुपये का प्रदर्शन केवल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है, लेकिन अन्य मुद्राओं के मुकाबले यह स्थिर रहा है। उन्होंने कहा, “रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अस्थिर हुआ है, लेकिन एशिया और अन्य देशों की मुद्राओं के मुकाबले यह सबसे कम अस्थिर मुद्रा रही है।” वित्त मंत्री ने बताया कि रुपये की गिरावट का मुख्य कारण व्यापार घाटा बढ़ना और अमेरिकी फेडरल रिजर्व का 2025 में ब्याज दरों में कमी करने का संकेत देना है, जिसके कारण डॉलर सूचकांक में वृद्धि हुई है।
रुपये की अस्थिरता पर RBI की निगरानी
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लगातार इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है और यह सोच रहा है कि किस तरह से बाजार में भारी उतार-चढ़ाव को ठीक किया जाए। सीतारमण ने बताया, “आरबीआई इस बात पर विचार कर रहा है कि वह बाजार में किस तरह हस्तक्षेप करेगा ताकि इस अस्थिरता के कारणों को ठीक किया जा सके। इसलिए हम सभी स्थिति को बारीकी से मॉनिटर कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि आलोचकों को इस मुद्दे पर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और इसे थोड़े और समय तक समझना चाहिए।
डॉलर की मजबूती और अमेरिकी प्रशासन का प्रभाव
सीतारमण ने यह भी कहा कि डॉलर की मजबूती और अमेरिकी प्रशासन के नए नेतृत्व के आगमन के कारण रुपये में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। उन्होंने इस संदर्भ में कहा, “आज डॉलर की मजबूती और अमेरिका में नए प्रशासन के आगमन के साथ रुपये में होने वाली उतार-चढ़ाव को समझना जरूरी है। आलोचनाएं हो सकती हैं, लेकिन इससे पहले बेहतर होगा कि इसे और अधिक अध्ययन करने के बाद प्रतिक्रिया दी जाए।”
अर्थव्यवस्था की मजबूती पर जोर
वित्त मंत्री ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर जोर देते हुए कहा कि अगर भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होती, तो रुपये की विनिमय दर अन्य मुद्राओं के मुकाबले स्थिर नहीं रह पाती। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक इस मामले में लगातार काम कर रहा है और स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठा रहा है।
आयात महंगे हुए हैं
सीतारमण ने माना कि रुपये की कमजोरी ने आयात को महंगा कर दिया है, और यह एक चिंता का विषय है, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह गिरावट केवल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ही देखी जा रही है, और भारतीय रुपये ने अन्य मुद्राओं के मुकाबले अपनी स्थिति स्थिर रखी है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति वैश्विक व्यापार के बदलाव और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण उत्पन्न हुई है।
क्या यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की बात है?
विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये की गिरावट एक अस्थायी स्थिति हो सकती है, लेकिन यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। खासकर आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और व्यापार घाटे में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जो घरेलू बाजार को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक इस पर निगरानी बनाए हुए है और इसे सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
रुपये के उतार-चढ़ाव का प्रभाव
रुपये के उतार-चढ़ाव का प्रभाव भारतीय बाजार और निवेशकों पर भी पड़ सकता है। आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ सकता है, जबकि निर्यातकों को फायदा हो सकता है। हालांकि, सीतारमण ने यह स्पष्ट किया कि रुपये की अस्थिरता केवल डॉलर के मुकाबले है और अन्य मुद्राओं के मुकाबले यह स्थिर बना हुआ है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपये की गिरावट पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह केवल डॉलर के मुकाबले कमजोरी है, और भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियादी स्थितियों के कारण रुपये की स्थिति अन्य मुद्राओं के मुकाबले स्थिर बनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक इस मुद्दे पर लगातार नजर बनाए हुए है और उचित कदम उठाए जा रहे हैं। आलोचकों को इस पर जल्दबाजी में प्रतिक्रिया देने से बचने की सलाह दी।