Zuckerberg: मेटा जो फेसबुक इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चलाती है उसने हाल ही में ऐसा कदम उठाया है जिसने सबको चौंका दिया है। अब मेटा ने अमेरिका की न्यूक्लियर एनर्जी कंपनी कॉन्स्टेलेशन एनर्जी के साथ बड़ी डील की है। यह डील इसलिए खास है क्योंकि सोशल मीडिया और परमाणु ऊर्जा का क्या संबंध हो सकता है यह सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है।
क्यों जरूरी पड़ी न्यूक्लियर प्लांट से बिजली लेने की जरूरत
आजकल सोशल मीडिया सिर्फ पोस्ट और वीडियो तक सीमित नहीं रह गया है। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बड़े डेटा सेंटर्स को चलाने के लिए भारी मात्रा में बिजली की जरूरत पड़ती है। अमेरिका में पहली बार बिजली की मांग इतनी तेजी से बढ़ी है और इसका सबसे बड़ा कारण टेक्नोलॉजी ही है। मेटा को भविष्य में 24 घंटे शुद्ध और लगातार बिजली चाहिए इसीलिए उसने सीधे न्यूक्लियर प्लांट से हाथ मिला लिया।
कौन सा प्लांट बना मेटा का नया साथी
यह न्यूक्लियर प्लांट अमेरिका के इलिनॉय राज्य में स्थित है जिसे कॉन्स्टेलेशन एनर्जी नाम की कंपनी चलाती है। अभी तक यह कंपनी सरकारी सब्सिडी पर चल रही थी क्योंकि न्यूक्लियर एनर्जी को क्लीन एनर्जी माना जाता है। लेकिन 2027 के बाद यह सब्सिडी खत्म हो जाएगी। ऐसे में मेटा ने समय रहते इस प्लांट की मदद का फैसला किया ताकि उसे बिना रुके बिजली मिलती रहे।
अब सेना के लिए भी काम कर रही है मेटा
मेटा अब अमेरिका की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए भी तकनीक बना रही है। कंपनी एंड्यूरिल इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर एआर और वीआर डिवाइस बना रही है जो सैनिकों के हेलमेट और चश्मों में लगाए जाएंगे। इससे सैनिक और बेहतर देख और सुन सकेंगे। इसमें स्मार्ट सेंसर और एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा।
भविष्य की प्लानिंग और ऊर्जा सुरक्षा की कहानी
मेटा की यह योजना बताती है कि अब सिर्फ ऐप्स और सोशल मीडिया नहीं बल्कि एनर्जी सिक्योरिटी भी उतनी ही जरूरी हो गई है। टेक कंपनियों के लिए अब सबसे जरूरी है कि उन्हें लगातार और शुद्ध बिजली मिलती रहे। भविष्य की दुनिया में वही आगे बढ़ेगा जिसके पास पावर और टेक्नोलॉजी दोनों होंगे।