TB Free India: विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए जनता से एकजुट होकर काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह दिन हमें टीबी जैसी घातक बीमारी के प्रति जागरूक करता है और इसके खिलाफ सामूहिक प्रयासों को मजबूत करने का संदेश देता है।
राष्ट्रपति का संदेश:
“यह दिन हमें टीबी की समय रहते पहचान, इलाज और रोकथाम की आवश्यकता का अहसास कराता है। मैं सभी देशवासियों से आह्वान करती हूं कि वे भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए मिलकर प्रयास करें,” राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा।
विश्व टीबी दिवस का उद्देश्य
विश्व टीबी दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना और इसके नियंत्रण में आ रही चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना है। 24 मार्च 1882 को डॉ. रॉबर्ट कोच ने टीबी के बैक्टीरिया का पता लगाया था, जिससे इस बीमारी का इलाज संभव हुआ।
गुजरात टीबी उन्मूलन में आगे
टीबी के खिलाफ लड़ाई में गुजरात सबसे आगे है। नीति आयोग द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार राज्य ने 95% टीबी उन्मूलन लक्ष्य हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि गुजरात की स्वास्थ्य सेवाओं और जागरूकता अभियानों की सफलता को दर्शाती है।
गुजरात सरकार ने टीबी मरीजों की पहचान, इलाज और पोषण में सुधार के लिए विशेष अभियान चलाए हैं। राज्य में मरीजों को अतिरिक्त पोषण और मुफ्त दवाइयां मुहैया कराई जा रही हैं।
मेघालय सरकार ने उठाया बड़ा कदम
टीबी उन्मूलन के लिए मेघालय सरकार ने एक अनूठी पहल की है। राज्य सरकार ने टीबी उन्मूलन अभियान में भाग लेते हुए राज्य के सभी 4,500 टीबी मरीजों को गोद लिया है।
‘निक्षय मित्र’ योजना:
भारत सरकार ने सितंबर 2022 में ‘निक्षय मित्र’ योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य टीबी मरीजों को पोषण और बेहतर इलाज में मदद करना है। इसके तहत निजी संगठन, सामाजिक संस्थाएं और नागरिक समाज मरीजों को गोद लेते हैं और उन्हें इलाज के दौरान आवश्यक पोषण और सहायता प्रदान करते हैं।
टीबी से जीतने वाले मरीजों की कहानी
मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स जिले की रहने वाली 33 वर्षीय रिडालिन शुलाई ने मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (MDR-TB) के खिलाफ जंग जीत ली है।
रिडालिन को गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीमारी के चलते उनका एक फेफड़ा पूरी तरह से खराब हो गया था। लेकिन डॉक्टरों के प्रयास और उनके मजबूत इरादों के कारण अब वह केवल एक फेफड़े के सहारे स्वस्थ जीवन जी रही हैं।
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। सरकार टीबी मरीजों के लिए बेहतर इलाज, पोषण और सहायता सुनिश्चित कर रही है।
टीबी उन्मूलन के लिए सरकार के प्रयास:
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मुफ्त जांच और इलाज: सरकारी अस्पतालों में टीबी मरीजों की मुफ्त जांच और इलाज किया जा रहा है।
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टीबी पोषण योजना: टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार देने के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है।
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सामुदायिक भागीदारी: ‘निक्षय मित्र’ योजना के तहत निजी संस्थाएं मरीजों को गोद ले रही हैं।
टीबी से बचाव के उपाय
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलती है। इससे बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां जरूरी हैं:
समय पर टीबी की जांच कराएं और पूरा इलाज लें।
मरीज मास्क का उपयोग करें और अन्य लोगों से दूरी बनाए रखें।
संतुलित आहार लें और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करें।
भीड़भाड़ वाले स्थानों पर सतर्कता बरतें।
भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए सरकार, नागरिक समाज और आम जनता को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। गुजरात और मेघालय जैसे राज्यों ने इस दिशा में मजबूत पहल की है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अपील देशवासियों को एकजुट होकर टीबी के खिलाफ लड़ाई में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।
टीबी मुक्त भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम सभी मिलकर इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए प्रयास करेंगे।