Silver Gold Rates: हाल ही में रिकॉर्ड ऊँचाई छूने के बाद चांदी की कीमतों में जबरदस्त गिरावट आई है। शुक्रवार को चांदी की कीमत ₹31,000 की गिरावट के साथ ₹1.47 लाख प्रति किलोग्राम पर आ गई। विशेषज्ञों का कहना है कि लंदन में डिलीवरी में सुधार और निवेशकों द्वारा मुनाफा बुकिंग के कारण यह गिरावट हुई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को स्पॉट चांदी $48.5 प्रति ट्रॉय औंस पर ट्रेड कर रही थी, जो पिछले सप्ताह $54.47 प्रति ट्रॉय औंस थी।
गिरावट के पीछे के कारण
बुलियन ट्रेडर्स के अनुसार, अमेरिका और चीन से लंदन में चांदी की बड़ी मात्रा आने से कीमतें अस्थायी रूप से कम हुई हैं। लंदन बुलियन मार्केट विश्व स्तर पर भौतिक चांदी लेन-देन का मुख्य केंद्र है। यहां की कीमती धातुओं की उपलब्धता सीधे तौर पर कीमतों पर असर डालती है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में चांदी की कीमत 14 अक्टूबर को ₹1.78 लाख प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी, क्योंकि लंदन में भौतिक भंडार की कमी थी।

चांदी महंगी क्यों हो रही थी
इस गिरावट से पहले चांदी की कीमतें इस साल मजबूत औद्योगिक मांग के कारण तेजी से बढ़ी थीं। सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन, 5G उपकरण और AI हार्डवेयर जैसे क्षेत्रों में चांदी की मांग बढ़ी थी। इसके अलावा, खनन में स्थिरता और सीमित रिसाइक्लिंग ने डिलीवरी को कठिन बना दिया था। इस वजह से निवेशकों और बाजारों में चांदी की कीमतें बढ़ती गईं।
सामान्यीकरण का दौर
निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के कमोडिटी हेड विक्रम धवन के अनुसार, अल्पकालिक निवेशक अपने निवेश को पुनः समायोजित कर रहे हैं। वहीं, रणनीतिक निवेशक—जैसे कि केंद्रीय बैंक और लंबे समय तक ETF निवेशक—इस गिरावट को महीनों की तेजी के बाद सामान्यीकरण की प्रक्रिया के रूप में देख सकते हैं। इसका मतलब है कि बाजार अब संतुलन की ओर बढ़ रहा है।
सोने की कीमतों में भी गिरावट
सोने की कीमतें भी पिछले सप्ताह 7.46% गिर गईं। रिटेल कीमतें ₹9,875 प्रति 10 ग्राम घटकर ₹1,22,419 पर आ गईं, जबकि रिकॉर्ड ऊँचाई ₹1,32,294 थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट अल्पकालिक बिक्री और अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के कारण हुई। धनतेरस (18-19 अक्टूबर) पर भारतीय उपभोक्ताओं ने सोने और चांदी के सिक्के बड़े पैमाने पर खरीदे। कई निवेशकों ने गोल्ड और सिल्वर ETF में भी निवेश किया, जो वर्ष की शुरुआत से लगातार बढ़ रहे थे।

