Retirement Plan: अगर आप युवा हैं और नौकरी करते हैं या खुद का बिज़नेस है तो रिटायरमेंट की प्लानिंग अभी से शुरू कर देनी चाहिए। जब आप जोखिम उठा सकते हैं तब आपको उसका फायदा उठाकर लंबे समय के लिए एक फंड तैयार करना चाहिए। यह फंड आपको भविष्य में नियमित पेंशन देने का काम करेगा। बढ़ती उम्र में खुद का खर्च और मेडिकल खर्च संभालने के लिए यह फंड बेहद जरूरी हो जाता है।
एनपीएस और पीपीएफ में कौन है बेहतर साथी
रिटायरमेंट के लिए निवेश करते समय एनपीएस और पीपीएफ दो लोकप्रिय विकल्प माने जाते हैं। दोनों योजनाएं सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं लेकिन एनपीएस में एनआरआई भी केवाईसी प्रक्रिया पूरी कर भाग ले सकते हैं जबकि पीपीएफ में एनआरआई नया निवेश नहीं कर सकते। हां वे पुराना खाता चालू रख सकते हैं।
ब्याज और निकासी के मामले में अंतर
ब्याज और लिक्विडिटी के लिहाज से पीपीएफ फिलहाल 7.1 प्रतिशत ब्याज देता है जो समय समय पर बदलता रहता है। इसमें 15 साल का लॉक इन होता है लेकिन 7 साल बाद आंशिक निकासी और 3 साल बाद लोन की सुविधा मिलती है। एनपीएस में रिटायरमेंट तक निवेश चलता है जिसे 70 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
टैक्स छूट में कौन है फायदेमंद
पीपीएफ में ईईई मॉडल होता है यानी निवेश पर टैक्स छूट मिलती है ब्याज टैक्स फ्री होता है और मैच्योरिटी पर मिलने वाला पूरा पैसा भी टैक्स फ्री होता है। एनपीएस में सेक्शन 80सी के तहत 2 लाख तक की छूट मिलती है जिसमें 50 हजार की अतिरिक्त छूट भी शामिल होती है। लेकिन एनपीएस से मिलने वाली एन्युइटी इनकम पूरी तरह टैक्स योग्य होती है।
निवेश की पारदर्शिता और रिटर्न
पीपीएफ में निवेशक को निवेश के तरीकों पर ज्यादा नियंत्रण नहीं होता और यह पूरी तरह सरकारी गारंटी पर आधारित होता है। वहीं एनपीएस में निवेशक इक्विटी या गवर्नमेंट सिक्योरिटी जैसे विकल्प चुन सकता है और यह योजना मार्केट से जुड़ी होती है। इसी कारण लंबे समय में एनपीएस ने पीपीएफ से ज्यादा रिटर्न दिया है।