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Friday, March 21, 2025
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Renewable Energy: नवीकरणीय ऊर्जा पर छूट 2030 तक बढ़ाने की मांग, जून 2025 में खत्म होने की संभावना!

Renewable Energy: भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बिजली उत्पादकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन चार्ज (ISTS) में दी जा रही छूट को 2030 तक बढ़ाया जाए। वर्तमान में यह छूट 30 जून 2025 तक मान्य है। इस विषय पर 5 फरवरी को नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी की अध्यक्षता में एक परामर्श बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में विंड इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (WIPPA) और अन्य संगठनों ने अपने सुझाव और चिंताओं को साझा किया।

ISTS छूट को 2030 तक बढ़ाने की मुख्य मांग

सूत्रों के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों की मुख्य मांग यह थी कि ISTS शुल्क छूट को 2030 तक बढ़ाया जाए। यह छूट निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत के महत्वाकांक्षी ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी। वर्तमान में यह छूट 30 जून 2025 को समाप्त होने जा रही है, जिससे कंपनियों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ेगा।

ग्रीन एनर्जी पर 25 वर्षों के लिए शुल्क माफ

वर्तमान में, ISTS शुल्क से 25 वर्षों के लिए उन हरित ऊर्जा परियोजनाओं को छूट दी गई है, जो 30 जून 2025 से पहले चालू हो जाएंगी। इनमें सौर, पवन, हाइब्रिड, बैटरी ऊर्जा और पंप स्टोरेज परियोजनाएं शामिल हैं। यह छूट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों को प्रति यूनिट 0.4 रुपये से 1.8 रुपये तक के शुल्क से बचाती है।

छूट समाप्त होने से बढ़ेगा लागत भार

अगर ISTS छूट को आगे नहीं बढ़ाया गया, तो नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पन्न बिजली की लागत बढ़ जाएगी। इसका सीधा असर इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता पर पड़ेगा, क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन पर लगने वाला शुल्क कोयला जैसे अन्य ऊर्जा स्रोतों की तुलना में अधिक हो जाएगा। उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह छूट समाप्त हो जाती है, तो कई कंपनियों के पास पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) साइन करने में दिक्कत आएगी।

Renewable Energy: नवीकरणीय ऊर्जा पर छूट 2030 तक बढ़ाने की मांग, जून 2025 में खत्म होने की संभावना!

बिजली वितरण कंपनियों पर भी पड़ेगा असर

ISTS छूट समाप्त होने से बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) पर भी अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ेगा। उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह छूट समाप्त होती है, तो 40 गीगावाट के पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) लंबित रह सकते हैं। इसके अतिरिक्त, डिस्कॉम्स को बिजली खरीदने में 60-90 पैसे प्रति यूनिट तक का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा।

छूट जारी रखने के फायदे

ISTS छूट को 2030 तक बढ़ाने से कई लाभ होंगे, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. नवीकरणीय ऊर्जा निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
  2. भारत के ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  3. बिजली वितरण कंपनियों को लागत में राहत मिलेगी।
  4. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहेगी।
  5. लंबित PPA शीघ्रता से साइन किए जा सकेंगे।

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए उद्योग जगत ने सरकार से मांग की है कि इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन शुल्क छूट को 2030 तक बढ़ाया जाए। यह छूट अगर समय पर बढ़ा दी जाती है, तो नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन सस्ता बना रहेगा और इससे भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी। सरकार को इस विषय पर जल्द ही निर्णय लेना आवश्यक है ताकि इस क्षेत्र में अनिश्चितता न बनी रहे और निवेशकों का विश्वास मजबूत बना रहे।

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