Real State: भारत में घर खरीदना दिन-ब-दिन महंगा होता जा रहा है। निम्न मध्यम वर्ग अब अपनी खुद की घर खरीदने में असमर्थ है, चाहे वे चाहें भी। इसके पीछे मुख्य कारण है प्रॉपर्टी की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि। पिछले तीन सालों में प्रॉपर्टी की कीमतों में जिस तरह की बढ़ोतरी हुई है, उसने बहुत से लोगों की पहुंच से बाहर कर दिया है। इसका कारण बताया जा रहा है अत्यधिक मांग और कम आपूर्ति, यानी जो फ्लैट्स की मांग है, वे बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, यह पूरी सच्चाई नहीं है। रियल्टी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रॉपर्टी मार्केट में निजी बिल्डरों के बीच एक कार्टल बन चुका है, जो मिलकर कीमतों का निर्धारण कर रहे हैं। निजी डेवलपर्स जो बड़े शहरों और छोटे शहरों में फ्लैट्स बनाते और बेचते हैं, वे अपनी इच्छा अनुसार कीमतें तय कर रहे हैं। सरकार के पास इन कीमतों पर कोई नियंत्रण नहीं है, जिसके कारण कीमतें आसमान छू रही हैं। इसके साथ ही, कुछ निवेशकों का पैसा प्रॉपर्टी में लगा हुआ है, जिसके कारण कीमतों में अवास्तविक वृद्धि हो रही है। हालांकि, यह भी मंदी का संकेत है, क्योंकि लंबे समय तक प्रॉपर्टी मार्केट इस तरह नहीं चल सकता। अतः यह कहा जा सकता है कि हाउसिंग बबल का फूटना तय है।
भारत में प्रॉपर्टी की कीमतें अमेरिका से भी महंगी
भारत की प्रति व्यक्ति आय वर्तमान में 2,730 अमेरिकी डॉलर है, जो भारतीय मुद्रा में लगभग 2,39,857 रुपये के बराबर है। वहीं, अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 68,531 अमेरिकी डॉलर है, जो भारतीय मुद्रा में लगभग 60,22,294 रुपये के बराबर है। यानी, अमेरिकी नागरिकों की आय भारतीय नागरिकों से 25 गुना ज्यादा है। इसके बावजूद, हमारे देश में घरों की कीमतें कई प्रमुख अमेरिकी शहरों से भी ज्यादा बढ़ गई हैं। यह आय और कीमतों के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से हाउसिंग बबल को दर्शाता है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रॉपर्टी की कीमतों में 49% की वृद्धि
दिल्ली-एनसीआर यह दिखाने के लिए एक उदाहरण बन गया है कि कैसे प्रॉपर्टी की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। प्रॉपटाइगर की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में घरों की औसत कीमत तीसरी तिमाही में 49% बढ़कर 8,105 रुपये प्रति वर्ग फीट हो गई है। यह देश के किसी भी अन्य शहर से कहीं अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, चेन्नई में कीमतें 16% बढ़कर 7,173 रुपये प्रति वर्ग फीट हो गईं, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की इसी तिमाही में यह 6,200 रुपये प्रति वर्ग फीट थी। अहमदाबाद में इस तिमाही में कीमतों में 10% की वृद्धि हुई, जबकि बैंगलोर में 12% की वृद्धि हुई। हालांकि, इन कीमतों में वृद्धि का असर बिक्री पर भी पड़ रहा है। 2024 में देश के 9 प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री में 30% की भारी गिरावट आई है। इसके अलावा, 2022 से अब तक घरों की बिक्री में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
House prices are NOT going down in India any time soon. The reason is very simple:-
Most of the houses in India are NOW being developed by private developers.
Unlike the old times, when people used to buy their land, build their houses– now, people want everything ready.…
— Akshat Shrivastava (@Akshat_World) February 9, 2025
महंगे घर खरीदने और सस्ते में बेचने की मजबूरी
रियल एस्टेट में एक उलटा परिदृश्य सामने आ रहा है। एक ओर, प्रॉपर्टी की कीमतें आसमान छू रही हैं और होम बायर्स को कहीं भी सस्ती प्रॉपर्टी नहीं मिल रही। दूसरी ओर, जब कोई होम बायर अपने फ्लैट को बेचने जाता है, तो उसे अपने खरीदी मूल्य के बराबर भी कीमत नहीं मिल रही। इस दुख का अनुभव एक पूर्व उपयोगकर्ता ने साझा किया है। इंस्टाग्राम पर @calm_banker हैंडल से एक ट्वीट किया गया है, जिसमें उपयोगकर्ता ने लिखा कि चेन्नई में मैंने दो साल पहले ₹ 68 लाख में एक अपार्टमेंट खरीदी थी, जबकि पास के अपार्टमेंट ₹ 55 लाख में मिल रहे थे। बिल्डर ने बताया था कि यह कीमत ऊंची है क्योंकि इसकी निर्माण में MyOne Construction का इस्तेमाल किया गया है, जो भूकंप को सहन कर सकता है। आज, हमारे आस-पास की कीमतें केवल ₹ 60-62 लाख हैं। एक अन्य उपयोगकर्ता ने लिखा कि उसने ₹ 80 लाख में फ्लैट खरीदी थी और 5 साल बाद ₹ 75 लाख में बेची।
चीन और अमेरिका में हाउसिंग बबल का फूटना
चीन और अमेरिका में भी एक समान हाउसिंग बबल बना था, जो फूट चुका है। आपको बता दें कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में पिछले कुछ सालों से हाउसिंग बबल फूटने का असर देखने को मिला है। इसके कारण अनुमानित $18 ट्रिलियन का नुकसान हुआ है। वहीं, अमेरिका में 2008 में हाउसिंग बबल फूटा था, जिससे वैश्विक वित्तीय संकट पैदा हुआ था।
क्या भारत में भी हाउसिंग बबल फूटेगा?
भारत में भी रियल एस्टेट का बाजार उस दिशा में बढ़ रहा है, जहां पर मूल्य असहनीय हो गए हैं और एक बबल का निर्माण हो चुका है। जैसा कि चीन और अमेरिका में हुआ, भारतीय रियल एस्टेट भी उसी रास्ते पर जा सकता है। अगर यह बबल फूटता है, तो यह घर खरीदारों और निवेशकों के लिए एक बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है। हालांकि, सरकार को चाहिए कि वह इस पर नियंत्रण बनाए और उचित नीतियों के माध्यम से बाजार को संतुलित करने की कोशिश करें।
भारत में प्रॉपर्टी की कीमतों का इस तरह बढ़ना निम्न और मध्य वर्ग के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। एक ओर जहां लोग घर खरीदने की इच्छा रखते हैं, वहीं दूसरी ओर वे महंगी कीमतों के कारण उसे हासिल करने में असमर्थ हैं। इसके कारण न केवल आम आदमी की समस्याएं बढ़ रही हैं, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर भी स्थिरता की ओर अग्रसर नहीं हो पा रहा। अगर इस बबल का कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो भविष्य में इसके फूटने से बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।