Rashmika Mandanna: हाल ही में फिल्म ‘स्पिरिट’ को लेकर दीपिका पादुकोण की एक मांग ने इंडस्ट्री में बहस छेड़ दी। उन्होंने शूटिंग के लिए 8 घंटे की शिफ्ट की बात कही थी। इसी के चलते उन्हें कथित तौर पर फिल्म से बाहर भी कर दिया गया। इसके बाद इंडस्ट्री में यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या फिल्म कलाकारों को भी वर्क-लाइफ बैलेंस का अधिकार मिलना चाहिए।
रश्मिका ने बताया अपना अनुभव
साउथ से लेकर बॉलीवुड तक में काम कर रही रश्मिका मंदाना ने इस विषय पर खुलकर राय दी है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि साउथ फिल्मों में आमतौर पर सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक का शेड्यूल रहता है जबकि हिंदी फिल्मों में सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक काम होता है। लेकिन उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं क्योंकि उन्हें अपने किरदार और फिल्म की ज़रूरत के हिसाब से शूटिंग करनी होती है।
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जब 36 घंटे तक नहीं मिली नींद
रश्मिका ने शूटिंग के कठिन अनुभव भी साझा किए। उन्होंने बताया कि कुछ फिल्मों में काम करते-करते 9 बजे सुबह से अगले दिन तक की शूटिंग चली है यानी 36 घंटे तक बिना रुके शूट करना पड़ा। कभी-कभी तो 2-3 दिन तक घर जाने का भी मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि यह सब फिल्मों की मांग के अनुसार होता है और कलाकारों को इसके लिए तैयार रहना पड़ता है।
हर टीम की होती है अलग जरूरत
रश्मिका ने यह भी कहा कि हर फिल्म की टीम को अपनी ज़रूरतों के अनुसार शिफ्ट तय करने की आज़ादी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि “हर किसी की प्राथमिकताएं अलग होती हैं। अगर कोई 8 घंटे की शिफ्ट चाहता है तो इसमें बुराई नहीं है लेकिन अगर फिल्म की कहानी और डेडलाइन लंबी शिफ्ट की मांग करती है तो कलाकारों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।”
रश्मिका के पास हैं बड़ी फिल्में
‘कुबेरा’ की सफलता के बाद रश्मिका मंदाना के पास कई बड़ी फिल्मों के प्रोजेक्ट हैं। वे जल्द ही ‘द गर्लफ्रेंड’, ‘थामा’, ‘मैसा’ और मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘पुष्पा 3’ में नजर आएंगी। हर फिल्म में उनका किरदार अलग है और उन्हें इसके लिए अलग-अलग शेड्यूल में काम करना पड़ता है। यही वजह है कि रश्मिका शिफ्ट की बहस से ज़्यादा अपने काम को प्राथमिकता देती हैं।