जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरे सुरक्षा तंत्र में हड़कंप मच गया है। अब खुफिया एजेंसियों की जांच में इस हमले से जुड़ी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की एक गहरी साजिश का खुलासा हुआ है। यह हमला एक अकेली घटना नहीं थी, बल्कि घाटी को अस्थिर करने की एक बड़े प्लान का हिस्सा था।
खुफिया अलर्ट: अगला निशाना कौन?
सूत्रों के अनुसार, ISI अब सीधे तौर पर गैर-स्थानीय नागरिकों, जम्मू-कश्मीर पुलिस के खुफिया विभाग (CID) में तैनात कर्मियों और कश्मीरी पंडितों को टारगेट करने की योजना पर काम कर रही है। ये हमले श्रीनगर और गांदरबल जैसे संवेदनशील जिलों में अंजाम दिए जा सकते हैं, जहां पिछले कुछ समय से आतंकियों की गतिविधियां अचानक बढ़ी हैं।
खास तौर पर रेलवे स्टाफ को टारगेट करने की योजना है क्योंकि घाटी में काम कर रहे अधिकांश रेलवे कर्मचारी बाहरी राज्यों से हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि ये कर्मचारी अक्सर बाजारों और स्थानीय इलाकों में स्वतंत्र रूप से घूमते हैं, जिससे उन्हें निशाना बनाना आतंकियों के लिए आसान हो सकता है।
पहलगाम हमले से पहले की संदिग्ध गतिविधियां
जांच में सामने आया है कि पहलगाम हमले से एक दिन पहले, यानी 21 अप्रैल की शाम को बांदीपोरा निवासी हाशेर पर्रे उर्फ हमजा और उसके साथ एक ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) को हथियारों के साथ पटन रेलवे ट्रैक की ओर जाते हुए देखा गया था। यह इलाका जिला बारामुला के पटन थाना क्षेत्र में आता है। माना जा रहा है कि यही लोग स्टैंडऑफ हमलों और अन्य आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की तैयारी में थे।
NIA को भी मिले अहम सुराग
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस हमले की गंभीरता को देखते हुए जांच की कमान संभाल ली है। सूत्रों के अनुसार, एजेंसी पहाड़ी इलाकों में रहने वाले गुर्जर-बकरवाल समुदाय के लोगों से पूछताछ कर रही है, क्योंकि इनमें से कुछ पर ISI के लिए ओवर ग्राउंड नेटवर्क का हिस्सा होने का शक जताया गया है।
इन ओवर ग्राउंड वर्कर्स की मदद से ही आतंकियों को हथियार, ठिकाने और सूचनाएं मुहैया करवाई जाती हैं। यही कारण है कि जांच एजेंसियां अब इन्हीं नेटवर्क्स को ध्वस्त करने की रणनीति पर काम कर रही हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चिंता
घाटी में सक्रिय आतंकवादी संगठन जैसे TRF (The Resistance Front), लश्कर और जैश अब ISI के इशारे पर छोटे-छोटे लेकिन घातक हमलों को अंजाम दे रहे हैं। इनका उद्देश्य सेना, पुलिस और प्रशासन पर सीधे हमले नहीं, बल्कि डर और अव्यवस्था का माहौल बनाना है।
इस तरह के हमलों से राज्य में निवेश, पर्यटन और सामान्य जीवन प्रभावित होता है, जो पाकिस्तान का मूल उद्देश्य भी है। यही वजह है कि सुरक्षा बल अब रेलवे स्टाफ, गैर-स्थानीय मज़दूरों और धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए विशेष रणनीति बना रहे हैं।