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Friday, March 21, 2025
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भारतीय Stock Market में गिरावट का असर, Mutual Fund निवेश में भारी गिरावट

भारत के Stock Market में हाल ही में आई बड़ी गिरावट का असर Mutual Fund निवेश पर भी देखने को मिल रहा है। भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग (AMFI) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी महीने में म्यूचुअल फंड निवेश में बड़ी गिरावट आई है। इस गिरावट को लेकर बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि शेयर बाजार में बिकवाली के माहौल और छोटे निवेशकों के बीच डर के कारण म्यूचुअल फंड में निवेश घटा है। खासतौर पर उन निवेशकों ने SIP (Systematic Investment Plan) अकाउंट्स को बंद कर दिया है, जो बेहतर रिटर्न्स की उम्मीद से म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे थे।

म्यूचुअल फंड में निवेश में भारी गिरावट

AMFI के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में कुल शुद्ध निवेश ₹29,241.78 करोड़ रहा, जबकि जनवरी 2025 में यह ₹39,669.6 करोड़ था। इस प्रकार, एक महीने में (MoM) निवेश में 26.29% की गिरावट आई है। यह गिरावट दर्शाती है कि निवेशकों ने बाजार की अनिश्चितता और गिरावट के कारण म्यूचुअल फंड्स से अपने पैसे निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में भारी बिकवाली के कारण छोटे निवेशकों के बीच डर पैदा हुआ है। यही कारण है कि कई निवेशक अपनी SIP योजनाओं को बंद कर रहे हैं और जिन निवेशकों को अच्छा रिटर्न की उम्मीद थी, उन्होंने म्यूचुअल फंड्स से पैसे निकाल लिए हैं।

भारतीय Stock Market में गिरावट का असर, Mutual Fund निवेश में भारी गिरावट

म्यूचुअल फंड निवेश में किस श्रेणी में आई गिरावट?

फरवरी में म्यूचुअल फंड्स के विभिन्न श्रेणियों में निवेश में गिरावट देखने को मिली है।

  1. लार्ज-कैप फंड्स: फरवरी में लार्ज-कैप फंड्स में निवेश ₹2,866 करोड़ रहा, जो जनवरी में ₹3,063.3 करोड़ था। इससे यह साफ पता चलता है कि बड़ी कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशकों की संख्या कम हो रही है।

  2. स्मॉल-कैप फंड्स: स्मॉल-कैप फंड्स में फरवरी में ₹3,722.5 करोड़ का निवेश हुआ, जबकि जनवरी में यह ₹5,721 करोड़ था। यानी इस श्रेणी में भी 35% की गिरावट आई है।

  3. मिडकैप फंड्स: मिडकैप फंड्स में फरवरी में ₹3,407 करोड़ का निवेश हुआ, जबकि जनवरी में ₹5,148 करोड़ था। यहां भी 33% की गिरावट आई है।

  4. हाइब्रिड फंड्स: हाइब्रिड फंड्स में फरवरी में ₹6,804 करोड़ का निवेश हुआ, जबकि जनवरी में यह ₹8,767.5 करोड़ था।

  5. लिक्विड फंड्स: लिक्विड फंड्स में निवेश ₹4,977 करोड़ रहा, जो जनवरी में ₹91,593 करोड़ था। यहां निवेश में भारी गिरावट आई है।

  6. ईटीएफ (ETFs): ईटीएफ्स में फरवरी में ₹3,846 करोड़ का निवेश हुआ, जबकि जनवरी में यह ₹1,172 करोड़ था। इस श्रेणी में वृद्धि देखने को मिली है।

  7. क्रेडिट रिस्क फंड्स: क्रेडिट रिस्क फंड्स में फरवरी में ₹198 करोड़ का निवेश हुआ, जबकि जनवरी में यह ₹294 करोड़ था।

  8. ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स): इस श्रेणी में फरवरी में ₹615 करोड़ का निवेश हुआ, जो जनवरी में ₹797 करोड़ था।

  9. कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड्स: इस श्रेणी में निवेश ₹1,065 करोड़ तक पहुंचा, जबकि जनवरी में यह ₹217.4 करोड़ था।

  10. डिविडेंड फंड्स: डिविडेंड फंड्स में निवेश ₹68.7 करोड़ रहा, जो जनवरी में ₹215 करोड़ था।

नए फंड ऑफर (NFOs) और गोल्ड ETF में गिरावट

नए फंड ऑफर (NFOs) में भी गिरावट देखने को मिली है। फरवरी में NFOs में ₹4,029 करोड़ का निवेश हुआ, जबकि जनवरी में यह ₹4,544 करोड़ था। इसके अलावा, गोल्ड ईटीएफ में भी निवेश घटा है। फरवरी में गोल्ड ईटीएफ में ₹1,980 करोड़ का निवेश हुआ, जो जनवरी में ₹3,751.4 करोड़ था।

सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में गिरावट

सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में भी फरवरी में गिरावट देखी गई है। इन फंड्स में निवेश ₹5,711.6 करोड़ था, जो जनवरी में ₹9,016.6 करोड़ था। यह गिरावट बाजार के अस्थिरता के कारण हुई है, जहां निवेशक सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स से भाग रहे हैं।

निवेशकों के लिए क्या संकेत?

म्यूचुअल फंड निवेश में आई यह गिरावट यह संकेत देती है कि निवेशकों ने बाजार की मौजूदा स्थिति को लेकर असमंजस में होना शुरू कर दिया है। यदि आप म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने जा रहे हैं, तो आपको अब सतर्क रहने की आवश्यकता है। हालांकि, बाजार की अस्थिरता के बावजूद, म्यूचुअल फंड्स लंबी अवधि के निवेश के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। इस समय निवेशकों को अपनी निवेश योजनाओं को लेकर पुनः विचार करना चाहिए और अपनी जोखिम सहिष्णुता के अनुसार निवेश निर्णय लेना चाहिए।

फरवरी 2025 में म्यूचुअल फंड्स में निवेश में गिरावट दर्शाता है कि भारतीय बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। खासकर छोटे निवेशक शेयर बाजार में आए उतार-चढ़ाव से चिंतित हैं। इसके बावजूद, म्यूचुअल फंड्स के विभिन्न श्रेणियों में कुछ निवेश क्षेत्रों में वृद्धि भी देखी गई है, जैसे ईटीएफ और क्रेडिट रिस्क फंड्स। निवेशकों को इस समय बाजार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने निवेश निर्णय लेने चाहिए।

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