Gemma 3n: आज दुनिया भर की टेक कंपनियां एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगी हैं। हर दिन कोई न कोई नया AI मॉडल लॉन्च होता है जो अपने खास फीचर्स से यूज़र्स को आकर्षित करने की कोशिश करता है। इसी कड़ी में गूगल ने हाल ही में अपने नए ओपन-सोर्स मॉडल Gemma 3n को पेश किया है। इस मॉडल में दो ऐसी खासियतें हैं जो इसे बाकी AI टूल्स से अलग बनाती हैं। पहला – इसे चलाने के लिए इंटरनेट की जरूरत नहीं है और दूसरा – यह सिर्फ 2GB RAM वाले बेसिक स्मार्टफोन में भी आसानी से काम करता है।
क्या है Google का Gemma 3n मॉडल?
Gemma 3n गूगल का नया ओपन-सोर्स मल्टीमॉडल AI मॉडल है। इसका मतलब यह है कि यह मॉडल टेक्स्ट के साथ-साथ ऑडियो, इमेज और वीडियो इनपुट को भी सपोर्ट करता है। हालांकि, यह आउटपुट केवल टेक्स्ट फॉर्मेट में ही देता है। इस मॉडल की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह 140 से ज़्यादा भाषाओं को समझ सकता है, जिससे ये दुनियाभर के उपयोगकर्ताओं के लिए बेहद उपयोगी बन जाता है। Gemma 3n, गूगल की पहले से मौजूद Gemma सीरीज का हिस्सा है जिसमें Gemma 3, SignGemma और Gemmaverse जैसे मॉडल पहले ही आ चुके हैं।
कैसे टक्कर देगा ChatGPT को?
अब सवाल उठता है कि क्या Gemma 3n, ChatGPT को टक्कर दे सकता है? इसका जवाब है – हां, एक खास एंगल से। ChatGPT को इस्तेमाल करने के लिए इंटरनेट जरूरी होता है। अगर आपके पास नेट नहीं है, तो आप ChatGPT का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। लेकिन Gemma 3n की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यह बिना इंटरनेट के भी काम करता है। ऐसे में यह उन जगहों पर बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है, जहां इंटरनेट की सुविधा या तो है ही नहीं या बहुत कमजोर है।
छोटे फोन में भी करेगा शानदार काम
Gemma 3n की दूसरी बड़ी खासियत यह है कि इसे चलाने के लिए हाई-एंड डिवाइस की जरूरत नहीं है। यह AI टूल सिर्फ 2GB RAM वाले स्मार्टफोन में भी चल सकता है। इस वजह से यह गांवों, स्कूलों और दूरदराज के इलाकों में भी डिजिटल बदलाव ला सकता है, जहां महंगे स्मार्टफोन या तेज़ इंटरनेट उपलब्ध नहीं है। इससे AI तकनीक की पहुंच आम लोगों तक हो सकेगी, जो अब तक सिर्फ मेट्रो सिटीज़ तक सीमित थी।
AI का भविष्य और गूगल की नई दिशा
Gemma 3n न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है बल्कि यह डिजिटल समावेशिता की दिशा में भी बड़ा कदम है। अब जब गूगल जैसी बड़ी कंपनी कम संसाधनों में चलने वाले AI पर फोकस कर रही है, तो आने वाले समय में हमें कई ऐसे AI टूल्स देखने को मिलेंगे जो कमज़ोर नेटवर्क और सस्ते डिवाइसेज़ पर भी बेहतर तरीके से काम करेंगे। यह तकनीक शिक्षा, हेल्थकेयर, कृषि और सरकारी सेवाओं में क्रांति ला सकती है।