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Sunday, June 1, 2025
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Delhi Metro News: दिल्ली मेट्रो में आसाराम के पोस्टर पर बवाल, DMRC ने दिया जवाब

Delhi Metro News: दिल्ली मेट्रो के कोच में 14 फरवरी के लिए एक विज्ञापन लगाया गया था, जिसमें बलात्कार के आरोपी और सजा प्राप्त आसाराम बापू की तस्वीर थी। यह तस्वीर देखकर यात्री भड़क उठे और उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई। सोशल मीडिया पर इस विज्ञापन की तस्वीरें पोस्ट की गईं और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) से इस पर स्पष्टीकरण की मांग की गई।

विज्ञापन में आसाराम की तस्वीर के ऊपर लिखा था, “पूज्य संत आसाराम बापू से प्रेरित”, जो यात्रियों के लिए एक विवाद का कारण बना। सोशल मीडिया पर इस विज्ञापन को लेकर कई सवाल उठाए गए। लोग यह सवाल उठा रहे थे कि दिल्ली मेट्रो में ऐसी तस्वीर क्यों लगी है, जबकि आसाराम को बलात्कार के आरोप में सजा हो चुकी है।

DMRC का प्रतिक्रिया

इस विवाद के बाद दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने अपनी प्रतिक्रिया दी। DMRC ने एक ‘X’ यूजर को जवाब देते हुए कहा, “DMRC ने तुरंत विज्ञापनदाता को निर्देश दिए हैं कि ये विज्ञापन मेट्रो परिसर से जल्दी हटाए जाएं। विज्ञापनों को हटाने की प्रक्रिया रात से शुरू की जाएगी। हालांकि, इसे पूरी तरह से हटाने में कुछ समय लग सकता है।”

DMRC का यह बयान सोशल मीडिया पर आई तीव्र प्रतिक्रियाओं के बाद आया। यात्रियों ने यह भी पूछा था कि क्या सरकार बलात्कारी की तस्वीर मेट्रो में लगाकर समाज में गलत संदेश देना चाहती है?

यात्रियों ने उठाए सवाल

एक सोशल मीडिया यूजर ने सवाल उठाया कि दिल्ली मेट्रो में एक बलात्कारी आसाराम की तस्वीर क्यों लगाई गई है, जो लाखों लड़कियों और महिलाओं के लिए रोज़ाना यात्रा करने का स्थान है। यात्रियों ने यह भी पूछा कि क्या यह सही है कि एक बलात्कारी की तस्वीर मेट्रो में प्रदर्शित की जाए, जबकि वहां हर दिन सैकड़ों महिलाएं यात्रा करती हैं।

यह पोस्टर 14 फरवरी को पेरेंट्स डे के अवसर पर लगाया गया था, जिसमें आसाराम की तस्वीर के साथ “प्रेरित by पूज्य संत आसाराम बापू” लिखा हुआ था। यह तस्वीर और विज्ञापन यात्रियों के बीच गुस्से का कारण बना और कई लोगों ने इसे गलत ठहराया।

https://twitter.com/Gobhiji3/status/1887721390515888457

आसाराम की सजा और स्वास्थ्य कारण

आसाराम को 2018 में दो अलग-अलग बलात्कार मामलों में उम्रभर की सजा सुनाई गई थी, जिनमें एक मामला सूरत और दूसरा जोधपुर का है। आसाराम के खिलाफ यह मामले कई सालों से चल रहे थे और अंततः वह दोषी पाए गए। आसाराम को इन मामलों में बलात्कार और शोषण के आरोपों में सजा दी गई।

हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को स्वास्थ्य कारणों से अंतरिम जमानत दी थी। उन्हें 31 मार्च तक जमानत मिली है, लेकिन उनकी सजा बरकरार है। इस जमानत का फैसला उनकी खराब स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर लिया गया था, लेकिन उनका अपराध अब भी अप्रत्याशित नहीं है और लोग उनका नाम और तस्वीर देखकर नाराज होते हैं।

क्यों हुई विवाद की शुरुआत?

यह विवाद इसलिए भी बढ़ा क्योंकि यह विज्ञापन पेरेंट्स डे के मौके पर प्रकाशित किया गया था। पेरेंट्स डे एक ऐसा दिन होता है जब माता-पिता के योगदान को सम्मानित किया जाता है। लेकिन इस दिन पर एक बलात्कारी के फोटो का उपयोग करना, विशेष रूप से दिल्ली मेट्रो जैसी सार्वजनिक जगह पर, लोगों को असंवेदनशील लगा। लोगों ने इसे समाज में गलत संदेश भेजने वाला कदम माना और इसके खिलाफ विरोध किया।

आसाराम की तस्वीर का इस तरह से इस्तेमाल किए जाने पर जनता में आक्रोश बढ़ गया, खासकर उन महिलाओं और बच्चों के लिए जो हर दिन मेट्रो में यात्रा करते हैं। यह सवाल उठता है कि क्या ऐसे विवादास्पद व्यक्तित्व को किसी सार्वजनिक स्थान पर प्रमोट किया जाना चाहिए, जबकि वह गंभीर अपराधों का दोषी है।

विज्ञापन नियमों और जिम्मेदारी पर सवाल

दिल्ली मेट्रो में विज्ञापन लगाने के लिए नियम होते हैं, लेकिन इस मामले में यह स्पष्ट नहीं था कि इस विज्ञापन को मंजूरी कैसे दी गई। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने तुरंत कार्यवाही की है और इस विज्ञापन को हटाने का आदेश दिया है। हालांकि, यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि ऐसे विवादास्पद विज्ञापनों को पहले क्यों अनुमति दी गई और भविष्य में इस तरह की गलती से बचने के लिए कौन से कदम उठाए जाएंगे।

आसाराम के 14 फरवरी के पोस्टर ने दिल्ली मेट्रो में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यात्रियों ने सोशल मीडिया पर इस पर गुस्सा जताया और दिल्ली मेट्रो से जवाब मांगा। DMRC ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इन विज्ञापनों को हटाने का आदेश दिया। हालांकि, यह घटना इस बात का प्रतीक है कि सार्वजनिक स्थानों पर विज्ञापन और उनकी सामग्री के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए, खासकर जब वह समाज में नकारात्मक संदेश पहुंचाने का कारण बन सकते हैं।

इस घटना से यह भी संदेश मिलता है कि हमें यह समझना चाहिए कि किसी अपराधी की सार्वजनिक छवि को बढ़ावा देने से समाज में किस तरह का प्रभाव पड़ सकता है। दिल्ली मेट्रो जैसी सार्वजनिक जगहों पर इस तरह के विवादास्पद विज्ञापनों की अनुमति देना समाज के लिए सही नहीं हो सकता है।

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