महाराष्ट्र सरकार अब Co-operative housing societies के लिए नए नियम लाने जा रही है। सरकार का मकसद है कि इन सोसायटियों के नियमों को आसान बनाया जाए और सरकारी दखल को कम किया जाए। खास बात यह है कि नए ड्राफ्ट नियम में मेंबर्स की बकाया राशि पर लगने वाला ब्याज 21% से घटाकर 12% करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, रिडेवलपमेंट के लिए सोसायटी को जमीन की लागत से 10 गुना तक लोन लेने की अनुमति मिलेगी।
AGM में वर्चुअल भागीदारी की मिलेगी सुविधा
अब सालाना आमसभा (AGM) में लोग ऑनलाइन भी भाग ले सकेंगे। लेकिन जरूरी है कि कुल मेंबर्स में से दो-तिहाई या कम से कम 20 लोग मौजूद हों, चाहे वे ऑनलाइन हों या ऑफलाइन। इसके अलावा, बैठक में लिए गए निर्णय तभी मान्य होंगे जब 51% मेंबर्स की सहमति होगी। खास बात यह है कि अब रिडेवलपमेंट से जुड़ी किसी भी मीटिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य कर दी गई है। यह पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मुंबई में हैं सबसे ज्यादा हाउसिंग सोसायटी
पूरे महाराष्ट्र में करीब 1.25 लाख हाउसिंग सोसायटी हैं, जिनमें लगभग 2 करोड़ लोग रहते हैं। इनमें से करीब 70% सोसायटी मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन में ही हैं। नए नियमों में कॉमर्शियल शॉप्स और संस्थानों को भी शामिल किया गया है ताकि वे भी रिडेवलपमेंट में अपना हिस्सा ले सकें। इसके अलावा, ‘प्रोविजनल मेंबर्स’ का एक नया कैटेगरी भी जोड़ा गया है जिससे मेंबर की मृत्यु के बाद नामित व्यक्ति को वोटिंग राइट और अस्थायी सदस्यता दी जा सकेगी।
सदस्यता देने का अधिकार सोसायटी को मिलेगा
अगर किसी मेंबर की मृत्यु हो जाती है तो सोसायटी को अब यह अधिकार होगा कि वो कानूनी वारिस को प्रोविजनल सदस्यता दे सके। हालांकि इसका मतलब यह नहीं होगा कि उन्हें प्रॉपर्टी का मालिकाना हक मिल गया है। मालिकाना हक तब तक नहीं मिलेगा जब तक टाइटल ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी न हो। इससे वारिसों को अधिकार भी मिलेंगे और प्रक्रिया भी सरल होगी।
मेंटेनेंस चार्ज और फंड में भी बदलाव
ड्राफ्ट नियमों के मुताबिक, मेंटेनेंस और वॉटर चार्ज सभी फ्लैट्स में बराबर बांटे जाएंगे। पानी का बिल फ्लैट में लगे नलों की संख्या के हिसाब से बांटा जाएगा। वहीं सिंकिंग फंड कुल निर्माण लागत का कम से कम 0.25% और रिपेयर और मेंटेनेंस फंड 0.75% रखा जाएगा। ये दोनों फंड हर साल लिया जाएगा ताकि भविष्य में किसी बड़ी मरम्मत या खर्च के लिए पैसा इकट्ठा हो सके।