Ranveer Allahabadia: यूट्यूब ने भारत में विवादित वीडियो को प्लेटफॉर्म से हटा दिया है, जिसे समाय रैना द्वारा होस्ट किए गए ‘इंडिया गॉट लेटेंट’ शो के एक एपिसोड में Ranveer Allahabadia, आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह और अपूर्वा माखिजा के साथ लिया गया था। इस वीडियो को सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा भेजे गए नोटिस के बाद हटाया गया। सरकार की ओर से मिली कानूनी शिकायत के बाद यूट्यूब ने यह कदम उठाया, और अब यह वीडियो भारत में उपलब्ध नहीं है।
वीडियो हटाने की वजह – IT एक्ट की धारा 69A के तहत कार्रवाई
यूट्यूब द्वारा हटाया गया यह एपिसोड सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2008 की धारा 69A के तहत हटाया गया है। यह धारा सरकार को यह अधिकार देती है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता, रक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में ऑनलाइन कंटेंट पर प्रतिबंध लगा सके। इस नियम के तहत, सरकार के आदेश पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कंटेंट हटाया जाता है, जो इसके निहित उद्देश्यों के खिलाफ माना जाता है।
वहीं, इस मामले में संसद की स्थायी समिति ने रणवीर अलाहाबादिया को समन भेजने की संभावना जताई है। कई सांसदों ने अलाहाबादिया के खिलाफ संसद की समिति में शिकायत की है। माना जा रहा है कि समिति अब इस मामले में रणवीर अलाहाबादिया को समन भेजने पर विचार कर रही है। शिवसेना (UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि वे इस मुद्दे को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की स्थायी समिति में उठाएंगी।
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “किसी भी तरह की अभद्र भाषा का उपयोग कॉमेडी कंटेंट के नाम पर स्वीकार्य नहीं है। आपको एक प्लेटफॉर्म दिया जाता है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी कह सकते हैं। वह व्यक्ति, जिसके पास करोड़ों सब्सक्राइबर्स हैं, सभी राजनेता उसके पोडकास्ट में बैठते हैं।” इस मुद्दे को संसद में उठाने की बात प्रियंका चतुर्वेदी ने कही है, और वे इसे गंभीरता से लेंगी।
मुंबई और असम में मामला दर्ज
रणवीर अलाहाबादिया के खिलाफ मुंबई में कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। अलाहाबादिया के इंस्टाग्राम पर 4.5 मिलियन फॉलोअर्स और यूट्यूब पर 1.05 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है, और अलाहाबादिया के साथ-साथ समाय रैना को भी जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, असम में भी रणवीर अलाहाबादिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने कहा है कि वे इसकी पूरी जांच करेंगे और जल्द ही आगे की कार्रवाई करेंगे। यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया है, और सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस मामले पर अपनी राय दी है। कुछ ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया, जबकि कुछ ने इसे गलत तरीके से पेश किए गए कॉमेडी कंटेंट के रूप में देखा।
रणवीर अलाहाबादिया का विवादित वीडियो: क्या था उस वीडियो में?
विवादित वीडियो में रणवीर अलाहाबादिया और उनके साथियों ने कुछ ऐसी टिप्पणियां की थीं, जिन्हें कई लोगों ने असंवेदनशील और अभद्र माना। सोशल मीडिया पर इस वीडियो के बाद से ही चर्चा शुरू हो गई थी और लोगों ने इसकी आलोचना की थी। वीडियो में कुछ ऐसी बातें कही गई थीं, जिन्हें भारतीय संस्कृति और समाज के मूल्यों के खिलाफ माना गया। इसके बाद ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने यूट्यूब को नोटिस भेजा, जिसके बाद वीडियो को प्लेटफॉर्म से हटा दिया गया।
क्यों बढ़ा विवाद?
इस वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस छिड़ गई, जिसमें कई लोगों ने इस वीडियो को एक मजाक के रूप में स्वीकार किया, जबकि कुछ ने इसे समाज के लिए हानिकारक बताया। खासकर, युवाओं पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की गई। कई लोग यह मानते हैं कि इस तरह के कॉमेडी कंटेंट से समाज में गलत संदेश जाता है और इसे सुधारने की आवश्यकता है। वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत आता है और किसी भी कलाकार को अपनी कला को प्रस्तुत करने का पूरा हक होना चाहिए।
आखिर क्या होगी रणवीर अलाहाबादिया की आगे की स्थिति?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं। सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है और कानूनी कार्रवाई की है। वहीं, रणवीर अलाहाबादिया के लिए यह एक कठिन समय हो सकता है, क्योंकि उनकी छवि पर इसका प्रभाव पड़ा है। हालांकि, वे एक प्रमुख यूट्यूबर हैं और उनके लाखों फॉलोअर्स हैं, जो उन्हें समर्थन दे रहे हैं।
यह मामला सिर्फ एक वीडियो तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की जिम्मेदारी और नियंत्रण को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या कंटेंट क्रिएटर्स को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए, या उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत कुछ भी कहने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए? इस मुद्दे पर भविष्य में और भी बहस होने की संभावना है।
रणवीर अलाहाबादिया का विवादित वीडियो यूट्यूब से हटाया जा चुका है और इसके बाद मामले ने कानूनी और राजनीतिक तूल भी पकड़ा है। सरकार की कार्रवाई और संसद की स्थायी समिति की ओर से की जा रही जांच से यह स्पष्ट है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है। हालांकि, इस मामले में अलाहाबादिया का भविष्य अभी अनिश्चित है, लेकिन इसने सोशल मीडिया कंटेंट और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।