Repo rate: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि ब्याज दर घटाने से निजी खर्च बढ़ेगा और कंपनियों का निवेश भी बेहतर होगा। उन्होंने यह बात इस महीने की शुरुआत में हुई मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी की बैठक में कही। इस बैठक में मल्होत्रा सहित छह सदस्यों ने ब्याज दर में कटौती के पक्ष में राय दी।
रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती
एमपीसी की अगुवाई करते हुए गवर्नर मल्होत्रा ने 9 अप्रैल को रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया। फरवरी में भी इतनी ही कटौती की गई थी। बुधवार को आरबीआई ने इस बैठक की जानकारी दी। इसमें बताया गया कि जब खुदरा मुद्रास्फीति का स्तर 4 प्रतिशत के लक्ष्य के आसपास हो और अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा हो तो मौद्रिक नीति को घरेलू मांग को सहारा देने के लिए लचीला बनाना चाहिए।
मौद्रिक नीति को लचीला रखने की सलाह
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि यह फैसला निजी खर्च को बढ़ावा देगा और कंपनियों के निवेश को गति देगा। उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति और विकास की दिशा को ध्यान में रखते हुए मौद्रिक नीति को उदार और सहायक बनाए रखना जरूरी है। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और सुधार की रफ्तार बढ़ेगी।
वैश्विक अनिश्चितताओं पर भी चिंता जाहिर
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी सदस्य एम राजेश्वर राव ने कहा कि फिलहाल वैश्विक अनिश्चितताएं बहुत अधिक हैं इसलिए लगातार सतर्कता और निगरानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर मुद्रास्फीति और विकास के संतुलन पर कोई खतरा हो तो तत्काल नीति कदम उठाए जाने चाहिए ताकि नुकसान से बचा जा सके।
घरेलू उद्योग को चीन से खतरा
आरबीआई के कार्यकारी निदेशक और एमपीसी सदस्य राजीव रंजन ने कहा कि विकास ठीक है लेकिन हमारी उम्मीदों से थोड़ा कम है और वैश्विक चुनौतियों के बीच नीति प्रोत्साहन की जरूरत है। वहीं सरकारी नियुक्त बाहरी सदस्य नागेश कुमार ने कहा कि भारत को घरेलू उद्योगों को चीनी माल की डंपिंग से बचाने के लिए उचित कदम उठाने होंगे। एमपीसी की अगली बैठक 4 से 6 जून 2025 को होगी।