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Sunday, September 14, 2025
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भारत को “Dead Economy” कहने पर ट्रंप को करारा जवाब, विदेश मंत्रालय ने खोला राजनयिक मोर्चा!

विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर खुलकर चर्चा की गई। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका की साझेदारी ने वर्षों में कई उतार-चढ़ाव और चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन यह संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को “मरी हुई” कहकर विवाद खड़ा कर दिया था, जिस पर भारत की ओर से यह जवाब आया है।

रूस के साथ संबंध स्थायी और समय की कसौटी पर खरे

भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका की आपत्ति को लेकर भी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट रुख अपनाया। रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत के किसी भी देश के साथ संबंध उसकी अपनी योग्यता और परस्पर हितों पर आधारित होते हैं, न कि किसी तीसरे देश की सोच पर। उन्होंने कहा, “भारत-रूस संबंध स्थिर और समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं।” इस बयान से साफ है कि भारत अपनी विदेश नीति में स्वतंत्र और संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है, और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है।

अमेरिका के साथ रक्षा साझेदारी मजबूत होती जा रही है

प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रक्षा साझेदारी है, जो पिछले कई वर्षों से निरंतर मजबूत हो रही है। उन्होंने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, आपसी हितों और जनता से जनता के संबंधों पर आधारित है। यह संबंध विविध क्षेत्रों में विस्तार पा रहे हैं और दोनों देश एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की दिशा में काम कर रहे हैं।” उन्होंने विश्वास जताया कि भविष्य में भारत-अमेरिका संबंध और प्रगाढ़ होंगे।

रूसी तेल खरीद पर भी दी सफाई

भारत द्वारा रूस से तेल खरीद को लेकर उठे सवालों पर जायसवाल ने कहा कि हमारी ऊर्जा नीति पूरी तरह से राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। उन्होंने बताया कि वैश्विक हालात और बाज़ार में उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करता है। उन्होंने कहा, “हम जो भी निर्णय लेते हैं, वह देश के ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं।” यह बयान दर्शाता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव से प्रभावित हुए बिना अपने निर्णयों को स्वतंत्र रूप से और व्यावहारिक दृष्टिकोण से लेता है।

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