जंगल्ली पिक्चर्स ने इंसॉम्निया फिल्म्स और बवेजा स्टूडियोज़ के साथ मिलकर अपनी नई फिल्म ‘HAQ’ का ऐलान किया है। इस फिल्म का निर्देशन सुपर्ण एस वर्मा कर रहे हैं। यामी गौतम धर और इमरान हाशमी इसमें मुख्य भूमिकाओं में नज़र आएंगे। यह फिल्म 7 नवंबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी और इसका टीज़र पहले ही दर्शकों को प्रभावित कर चुका है। ‘हक़’ को शाह बानो केस से प्रेरित बताया जा रहा है जिसने भारतीय न्याय प्रणाली और समाज दोनों को गहराई से प्रभावित किया था।
शाह बानो केस से जुड़ा सिनेमा
फिल्म ‘हक़’ जिग्ना वोरा की किताब “बानो: इंडिया’ज़ डॉटर” पर आधारित है। शाह बानो बेगम का संघर्ष 1980 के दशक में एक महिला की इज्ज़त और हक़ के लिए लड़ी गई ऐतिहासिक लड़ाई थी। उस दौर में यह केस पर्सनल लॉ बनाम सेक्युलर लॉ की बहस का प्रतीक बन गया। आज भी यही सवाल उठता है कि क्या सभी नागरिकों के लिए कानून एक समान होना चाहिए। फिल्म इन्हीं प्रश्नों को बड़े पर्दे पर एक सशक्त और भावनात्मक अंदाज़ में उठाने वाली है।
यामी गौतम की दमदार भूमिका
जंगल्ली पिक्चर्स हमेशा ऐसी कहानियाँ बनाता है जो समाज को सोचने पर मजबूर करें। राज़ी, तलवार और बधाई दो जैसी फिल्मों के बाद अब हक़ उनकी अगली कोशिश है। यामी गौतम धर फिल्म में एक मज़बूत मुस्लिम महिला की भूमिका निभा रही हैं। उनके किरदार को पति द्वारा त्याग दिया जाता है और वह अपने बच्चों के साथ समाज और अदालत के सामने न्याय की लड़ाई लड़ती हैं। वह धारा 125 के तहत अपने अधिकारों के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाती हैं।
इमरान और यामी की पहली जोड़ी
फिल्म में इमरान हाशमी एक तेज़ और मशहूर वकील की भूमिका निभा रहे हैं। यह पहली बार होगा जब यामी गौतम और इमरान हाशमी एक साथ पर्दे पर दिखेंगे। कहानी एक साधारण पति-पत्नी के विवाद से शुरू होती है और धीरे-धीरे यह बहस राष्ट्रीय मुद्दे यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता तक पहुँच जाती है। फिल्म में अदालत के सीन और भावनात्मक टकराव दर्शकों को बांधकर रखने वाले हैं।
समाज और कानून पर उठते सवाल
‘हक़’ सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि समाज से जुड़े अहम सवालों का आईना है। क्या न्याय सबके लिए बराबर होना चाहिए। क्या व्यक्तिगत आस्था और राष्ट्रीय कानून के बीच संतुलन संभव है। क्या अब समय आ गया है जब भारत को वन नेशन वन लॉ यानी एक समान कानून की ओर बढ़ना चाहिए। यह फिल्म इन सभी सवालों को बड़ी ताक़त से उठाती है और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है।

