Tata Group में अक्टूबर महीना एक बार फिर हलचल लेकर आया है। साल 2016 में इसी महीने साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाया गया था और अब उनके रिश्तेदार मेहली मिस्त्री को टाटा ट्रस्ट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। यह फैसला ग्रुप की शीर्ष इकाइयों—सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT)—में बड़ा बदलाव लेकर आया है।
कैसे हुआ मेहली मिस्त्री का कार्यकाल खत्म
पिछले शुक्रवार को टाटा ट्रस्ट के सीईओ सिद्धार्थ शर्मा ने मेहली मिस्त्री के कार्यकाल को तीन साल और बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ ट्रस्टी जैसे दरियस खंबाटा, प्रमित झावेरी और जहांगीर जहांगीर ने इस पर सहमति जताई थी। लेकिन चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी विजय सिंह ने इसके खिलाफ वोट किया। नतीजतन, मेहली मिस्त्री का कार्यकाल खत्म हो गया और उन्हें ट्रस्ट से हटा दिया गया।

अक्टूबर का अजीब संयोग
यह महज एक संयोग नहीं बल्कि इतिहास का दोहराव लगता है। साल 2016 के अक्टूबर में ही साइरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाया गया था। अब 2025 के अक्टूबर में उनके रिश्तेदार मेहली मिस्त्री को बाहर किया गया है। दोनों घटनाएं टाटा ग्रुप के लिए अस्थिरता का संकेत मानी जा रही हैं। खास बात यह है कि साइरस मिस्त्री का परिवार, यानी शापूरजी पालोनजी ग्रुप, टाटा सन्स में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है।
कौन हैं मेहली मिस्त्री
मेहली मिस्त्री M. Pallonji Group of Companies के प्रमोटर हैं, जो औद्योगिक पेंटिंग, शिपिंग, ड्रेजिंग और ऑटोमोबाइल डीलरशिप जैसे कई क्षेत्रों में काम करता है। वे Breach Candy Hospital Trust के भी ट्रस्टी हैं। उनकी पहचान सिर्फ कारोबारी नहीं बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी रतन टाटा के करीबी के रूप में होती थी। रतन टाटा के निधन के बाद उम्मीद की जा रही थी कि ग्रुप स्थिरता की ओर बढ़ेगा, लेकिन यह घटनाक्रम एक नई दरार का संकेत देता है।
टाटा ग्रुप की दिशा पर सवाल
टाटा ट्रस्ट्स टाटा सन्स में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है और इनमें SRTT व SDTT की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ऐसे में ट्रस्ट के भीतर किसी भी मतभेद का असर पूरे टाटा ग्रुप पर पड़ता है। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में ग्रुप के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने केंद्र सरकार के दो मंत्रियों से मुलाकात भी की थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि मामला सिर्फ आंतरिक नहीं बल्कि रणनीतिक रूप से भी संवेदनशील है। मेहली मिस्त्री की विदाई टाटा ग्रुप के लिए एक और कठिन अध्याय की शुरुआत हो सकती है।

