Supreme Court ने बुधवार को पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत मंजूर कर दी। उन पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और ओबीसी तथा विकलांगता श्रेणी के तहत अनुचित लाभ लेने का आरोप है। न्यायमूर्ति बीवी नगरत्ना और सतिश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट को मामले के तथ्यों के आधार पर जमानत देनी चाहिए।
कोर्ट का सवाल गंभीर अपराध का
बेंच ने कहा कि पूजा खेडकर ने कोई गंभीर अपराध नहीं किया है। वह कोई ड्रग माफिया या आतंकवादी नहीं हैं। उन्होंने हत्या या नारकोटिक्स के अपराध नहीं किए हैं। कोर्ट ने पुलिस से कहा कि वे अपने सिस्टम और सॉफ्टवेयर के माध्यम से जांच पूरी करें। कोर्ट ने कहा कि पूजा ने सब कुछ खो दिया है और कहीं नौकरी पाने की संभावना नहीं है।
दिल्ली पुलिस का विरोध
दिल्ली पुलिस के वकील ने पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देने का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं और उन पर लगे आरोप गंभीर हैं। पुलिस ने बताया कि पूजा ने 2022 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण का अनुचित लाभ लेने के लिए गलत जानकारी दी थी। पूजा ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है।
यूपीएससी और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन ने पूजा खेडकर के खिलाफ कई कदम उठाए हैं। यूपीएससी ने उनके खिलाफ फर्जी पहचान से परीक्षा देने का आपराधिक मामला दर्ज कराया है। दिल्ली पुलिस ने भी उनके खिलाफ विभिन्न अपराधों के तहत एफआईआर दर्ज की है। मामले की जांच जारी है।
जांच में सहयोग की कोर्ट की शर्त
सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह जांच में पूरा सहयोग करें। कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी होने तक वह कोर्ट के समक्ष अपनी जवाबदेही निभाएं। कोर्ट ने यह भी बताया कि जांच के बाद ही स्थिति साफ होगी कि आरोप सही हैं या नहीं।