Smartphone Price Hike: यदि आप निकट भविष्य में नया स्मार्टफोन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपको इसके लिए थोड़ा अधिक खर्च करना पड़ सकता है। इसके पीछे कोई नया टैक्स या कंपनियों द्वारा मनमाना मूल्य वृद्धि नहीं है, बल्कि वजह है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बढ़ती मांग और उसके कारण RAM की कमी। तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल कंपनियां इस बढ़ी हुई लागत को सीधे उपभोक्ताओं पर डाल सकती हैं। इस समय स्मार्टफोन की बाजार कीमतों में हलचल AI उद्योग और उच्च गुणवत्ता वाली मेमोरी की बढ़ती मांग से जुड़ी हुई है।
AI की बढ़ती मांग और बाजार पर असर
हाल के वर्षों में AI ने तकनीकी उद्योग की प्राथमिकताओं को पूरी तरह बदल दिया है। Google, Microsoft और OpenAI जैसी कंपनियां अपने AI सिस्टम और डेटा सेंटर्स के लिए भारी मात्रा में कंप्यूटिंग पावर खरीद रही हैं। इन सिस्टम्स के लिए उच्च गुणवत्ता वाली RAM और स्टोरेज की आवश्यकता होती है, जो सामान्य स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाली मेमोरी की तुलना में कहीं अधिक महंगी और उन्नत है। इस कारण मेमोरी निर्माता अब सामान्य उपभोक्ताओं की बजाय AI और एंटरप्राइज क्लाइंट्स पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
Micron जैसी बड़ी मेमोरी कंपनियों ने हाल ही में अपने कंज्यूमर-फोकस्ड ब्रांड को बंद करने का निर्णय लिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि AI कंपनियों को सप्लाई करना अधिक लाभकारी है। इसी तरह, Samsung और SK Hynix जैसी कंपनियां भी High-Bandwidth Memory (HBM) पर फोकस बढ़ा रही हैं। परिणामस्वरूप, सामान्य स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाली RAM की उपलब्धता कम होती जा रही है और इसकी कीमतें पिछले कुछ महीनों में दोगुनी हो चुकी हैं।
बाजार में पहले से दिखाई दे रहे हैं संकेत
इस बदलाव का असर अब सीधे बाजार में दिखने लगा है। कई कंपनियों ने अपने स्मार्टफोन की कीमतें चुपचाप बढ़ा दी हैं। उदाहरण के लिए, एक मिड-रेंज Oppo स्मार्टफोन, जिसे पहले एक निश्चित कीमत पर लॉन्च किया गया था, अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अधिक कीमत पर उपलब्ध है। इसी तरह, एक लोकप्रिय Samsung बजट फोन के उच्च RAM वेरिएंट की उपलब्धता घट गई है, जबकि कम RAM मॉडल को उच्च कीमत पर बेचा जा रहा है। ये छोटे बदलाव इस बात का संकेत हैं कि कंपनियां बढ़ती मेमोरी लागत और बाजार की मांग के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही हैं।
हालांकि, Apple की आगामी iPhone मॉडल की कीमतों में वृद्धि अभी तक नहीं हुई है। माना जा रहा है कि Apple ने अपनी प्रोडक्शन योजना मेमोरी चिप्स की कमी को ध्यान में रखकर पहले से बना ली थी, जिससे उन्हें कुछ राहत मिली। लेकिन अगर RAM संकट लंबे समय तक बना रहा, तो प्रीमियम ब्रांड भी इसके प्रभाव से पूरी तरह बच नहीं पाएंगे।
भविष्य में कीमतों का रुझान
तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में स्मार्टफोन सस्ते होने की संभावना बहुत कम है। खासकर 2026 के बाद कीमतों में लगातार वृद्धि देखी जा सकती है। फ्लैगशिप स्मार्टफोन की कीमतें 7 से 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं, जबकि मिड-रेंज और बजट सेगमेंट में भी स्पष्ट रूप से वृद्धि की संभावना है। इसके अलावा, भविष्य में कंपनियां बजट और मिड-रेंज स्मार्टफोन में अधिक RAM देने से बच सकती हैं, ताकि लागत को नियंत्रित किया जा सके। इसका मतलब है कि 8GB RAM अब नया स्टैंडर्ड बन सकता है।
इस प्रकार, उपभोक्ताओं को स्मार्टफोन खरीदते समय RAM की उपलब्धता और कीमत में संभावित बढ़ोतरी को ध्यान में रखना होगा। AI की तेजी से बढ़ती मांग ने तकनीकी उद्योग की प्राथमिकताओं को बदल दिया है और इसके परिणामस्वरूप स्मार्टफोन की कीमतें आने वाले समय में स्थिर नहीं रह सकती हैं।

