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Wednesday, July 30, 2025
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Shubhanshu Shukla: मूंग-मेथी के साथ अंतरिक्ष में खेती! धरती की ओर लौटेगा अंतरिक्ष का किसान, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का ऐतिहासिक मिशन

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla ने इतिहास रच दिया है। वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। शुभांशु न केवल अंतरिक्ष में गए दूसरे भारतीय हैं बल्कि वह पिछले 12 दिनों से वहां रहकर कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान भी कर रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि पर देशभर में गर्व की लहर दौड़ गई है।

Axiom-4 मिशन का हिस्सा हैं शुभांशु

शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए हैं जो कुल 14 दिनों का मिशन है। इस मिशन की वापसी की तिथि अब मौसम पर निर्भर है। NASA ने अभी तक उनकी वापसी की तारीख की घोषणा नहीं की है। अगर फ्लोरिडा के तट पर मौसम अनुकूल रहता है तो जल्द ही उनकी धरती पर वापसी तय होगी। NASA और Axiom Space इस पूरी प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए हैं।

Shubhanshu Shukla: मूंग-मेथी के साथ अंतरिक्ष में खेती! धरती की ओर लौटेगा अंतरिक्ष का किसान, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का ऐतिहासिक मिशन

अंतरिक्ष में बना वैज्ञानिक और किसान का मेल

शुभांशु शुक्ला इस मिशन में सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री ही नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक और एक किसान की भूमिका भी निभा रहे हैं। उन्होंने अंतरिक्ष में प्रयोग के तौर पर मूंग और मेथी के बीज उगाए हैं। इन बीजों को उन्होंने पेट्री डिश में अंकुरित किया और फिर उन्हें स्टोरेज फ्रीजर में रखा ताकि उन्हें धरती पर लाकर आगे की रिसर्च की जा सके।

फसल की नई उम्मीद: चांद और मंगल की खेती की तैयारी

Axiom Space ने जानकारी दी कि इन बीजों को धरती पर लौटने के बाद कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा और उनके जीन, पोषण और माइक्रोबायोलॉजिकल परिवर्तनों का अध्ययन किया जाएगा। यह प्रयोग चंद्रमा या मंगल जैसे ग्रहों पर भविष्य की खेती के लिए एक बड़ी उम्मीद है। अंतरिक्ष में खेती की यह कोशिश टिकाऊ जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

भारत के वैज्ञानिकों के लिए गर्व का क्षण

शुभांशु शुक्ला ने Axiom Space की चीफ साइंटिस्ट लूसी लो से बातचीत में कहा कि उन्हें गर्व है कि वह इस मिशन के ज़रिए भारत के वैज्ञानिक समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए बेहद गर्व और खुशी की बात है कि मैं भारतीय संस्थानों द्वारा तैयार किए गए प्रयोगों को अंतरिक्ष में पूरा कर पा रहा हूं। यह मिशन सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि भारत के हर वैज्ञानिक का है।”

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