कांग्रेस सांसद Shashi Tharoor ने शुक्रवार को लोकसभा में मैरिटल रेप को क्रिमिनल ऑफेंस बनाने के लिए एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखना चाहिए, जिनमें ‘ना का मतलब ना’ और ‘सिर्फ हां का मतलब हां’ शामिल है। थरूर ने यह बिल भारतीय न्याय संहिता (IPC) में बदलाव के तहत पेश किया है ताकि मैरिटल रेप का जो अपवाद मौजूद है, उसे खत्म किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने दो और बिल भी पेश किए हैं, जिनमें कार्यस्थल की सुरक्षा और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के पुनर्गठन से संबंधित प्रस्ताव शामिल हैं।
मैरिटल रेप को कानूनी रूप से अपराध बनाना क्यों है आवश्यक
शशि थरूर ने कहा कि हर महिला को शादी के अंदर शारीरिक स्वतंत्रता और सम्मान का अधिकार मिलना चाहिए। यह अधिकार भारत के कानूनी सिस्टम में ठीक से सुरक्षित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मैरिटल रेप विवाह का मामला नहीं बल्कि एक हिंसा का विषय है। उनका कहना है कि अब कार्रवाई का समय आ गया है और इसके लिए कानून में जरूरी बदलाव किए जाएं। इस बिल के जरिये यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शादी महिलाओं की सहमति का अधिकार समाप्त नहीं करती।

IPC की धारा 63 और मैरिटल रेप का अपवाद
थरूर ने बताया कि अभी भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 मैरिटल रेप को अपराध से बाहर रखती है। इसका मतलब यह है कि पति अपनी पत्नी के बिना सहमति के संबंध बना सकता है, बशर्ते पत्नी की उम्र 18 वर्ष से कम न हो। यह प्रावधान पुराने और पुरुष प्रधान सोच का परिणाम है, जो महिलाओं को संपत्ति की तरह देखता है। यह औपनिवेशिक काल की एक पुरानी मानसिकता है, जो आज भी कानूनी व्यवस्था में मौजूद है।
महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बदलाव जरूरी
शशि थरूर ने कहा कि मैरिटल रेप को अपराध बनाने में विफलता ने शादीशुदा महिलाओं को कानूनी रूप से कमजोर बना दिया है। इससे उनकी सुरक्षा और सम्मान पर सवाल उठते हैं। शादी को सहमति का अंत मानना गलतफहमी है और इससे महिलाओं के बुनियादी अधिकारों को ठेस पहुंचती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं को भी उनकी शारीरिक आजादी का अधिकार मिले, जिससे वे सुरक्षित महसूस कर सकें।
थरूर के अन्य प्राइवेट मेंबर बिल
शशि थरूर ने इसके अलावा दो अन्य प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किए। एक बिल कार्यस्थल की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020 में संशोधन करने का है। दूसरा बिल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुनर्गठन के लिए एक आयोग बनाने का प्रस्ताव है। थरूर ने कहा कि ये कदम भारत के संवैधानिक और सामाजिक मूल्यों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।

