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Friday, May 9, 2025
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सहवाग बोले थे “खुश मत हो बेटा”, 100 घंटे में वैभव ने जड़ दिया शतक

क्रिकेट की दुनिया में जब किसी 14 साल के खिलाड़ी की चर्चा होती है, तो अक्सर उसमें संभावनाएं होती हैं, पर प्रदर्शन की गारंटी नहीं। लेकिन राजस्थान रॉयल्स के युवा बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी ने ये धारणा पलट दी। उन्होंने न केवल प्रदर्शन किया, बल्कि वो भी उस समय जब सवाल उठ रहे थे — और वो सवाल किसी और के नहीं बल्कि वीरेंद्र सहवाग जैसे दिग्गज के थे।

100 घंटे का जवाब – बल्ला बोला, आलोचना चुप हुई

24 अप्रैल को RCB के खिलाफ हुए मैच में वैभव का बल्ला खामोश रहा। मात्र कुछ गेंदों में आउट होने के बाद पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने उन पर टिप्पणी करते हुए कहा था – “अगर वैभव ये सोच रहा है कि पहली गेंद पर छक्का लगाकर वो स्टार बन गया, तो शायद अगले साल उसे खेलते नहीं देखेंगे।” सहवाग ने ये भी जोड़ा कि कई युवा खिलाड़ी आते हैं, चमकते हैं, फिर गुम हो जाते हैं क्योंकि वे खुद को जल्दी ही बड़ा मान लेते हैं।

लेकिन क्रिकेट में जवाब शब्दों से नहीं, बल्ले से दिया जाता है – और यही काम किया वैभव ने।

28 अप्रैल – सहवाग को मिला करारा जवाब

सिर्फ 96 घंटे बाद, यानि 28 अप्रैल को, गुजरात टाइटंस के खिलाफ जयपुर में वैभव सूर्यवंशी ने ऐसा खेल दिखाया जिसे देखकर हर कोई दंग रह गया। सिर्फ 38 गेंदों में 101 रन, वो भी 14 साल की उम्र में, और आईपीएल जैसे मंच पर, ये कोई सामान्य बात नहीं थी। वैभव की पारी ने राजस्थान रॉयल्स को 210 रन के बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए न सिर्फ जीत दिलाई, बल्कि आलोचकों को भी खामोश कर दिया।

‘बोलने दो बल्ले को’ – सचिन वाला अंदाज़

सचिन तेंदुलकर ने एक बार कहा था – “मैं मैदान पर जवाब देता हूं, बाकी बातें दूसरों के लिए छोड़ देता हूं।” वैभव सूर्यवंशी ने भी कुछ ऐसा ही किया। उन्होंने सहवाग की टिप्पणियों का कोई जवाब प्रेस में नहीं दिया, कोई ट्वीट नहीं किया, सिर्फ मैदान पर उतरे और अपने बल्ले से सारी बातें कही।

उनकी शतकीय पारी में ना घबराहट थी, ना ही गुस्सा – बस एक युवा प्रतिभा का आत्मविश्वास और खेल के प्रति जुनून झलक रहा था।

क्यों खास है ये शतक?

  1. उम्र सिर्फ 14 साल – दुनिया में शायद ही कोई खिलाड़ी इस उम्र में इतना परिपक्व और विस्फोटक खेल दिखा पाया हो।

  2. IPL में दबाव भरे मैच में – 210 रन का पीछा करना किसी भी टीम के लिए चुनौती होता है, खासकर तब जब सामने मोहम्मद शमी, राशिद खान जैसे गेंदबाज हों।

  3. जवाब नहीं, प्रेरणा बना – वैभव ने जिस तरह सहवाग की आलोचना को सकारात्मक ऊर्जा में बदला, वो हर युवा खिलाड़ी के लिए मिसाल है।

क्या कहते हैं क्रिकेट के जानकार?

अब वैभव की इस पारी के बाद क्रिकेट विशेषज्ञों के सुर बदल गए हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तुलना सचिन और विराट कोहली के शुरुआती दौर से की जा रही है। कुछ ने तो ये तक कह दिया – “ये लड़का इंडिया की कैप से ज़्यादा दूर नहीं है।”

आलोचना से घबराना नहीं, चमकना सीखो

क्रिकेट एक मानसिक खेल है, जहां आलोचना से घबराना नहीं, बल्कि उसे प्रेरणा बनाना पड़ता है। वैभव सूर्यवंशी ने ये दिखा दिया कि बड़ी बातें करने वाले बहुत मिलेंगे, लेकिन जवाब देने वाला बल्ला ही होता है। 14 साल की उम्र में जो जवाब उन्होंने सहवाग जैसे दिग्गज को दिया, वो इतिहास में दर्ज हो जाएगा।

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