Sanjay Kapoor Prayer Meeting: 22 जून 2025 को दिल्ली में संजय कपूर की प्रार्थना सभा आयोजित की गई। इस अवसर पर फिल्म और बिजनेस जगत की कई जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहीं। कपूर परिवार का हर सदस्य इस शोक सभा में शामिल हुआ। करिश्मा कपूर अपने बच्चों के साथ पहुँचीं और उनके साथ करीना कपूर और सैफ अली खान भी दिखे। पूरे माहौल में गम और शांति का माहौल छाया रहा। परिवार की एकजुटता ने यह साबित कर दिया कि दुख की घड़ी में भावनात्मक साथ सबसे बड़ा सहारा होता है।
दिल्ली से मुंबई लौटते वक़्त चेहरे बोले बिना कह गए सब कुछ
प्रार्थना सभा के बाद करीना, करिश्मा, सैफ और बच्चे उसी दिन मुंबई लौट आए। मुंबई के प्राइवेट एयरपोर्ट पर जब उन्हें स्पॉट किया गया, तो चेहरे पर बिछड़ने का गम साफ देखा जा सकता था। करीना सफेद सूट में थीं और काले चश्मे से अपनी नम आंखें छुपा रही थीं। वो बिना कुछ कहे सीधे कार में बैठकर घर रवाना हो गईं। सैफ भी सफेद कुर्ते में उनके साथ नजर आए। वहीं करिश्मा और बच्चे भी चुपचाप घर के लिए रवाना हुए। हर चेहरा संजय कपूर के जाने का दुख बयां कर रहा था।
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फैंस भी भावुक, उठे कई सवाल
इस भावुक पल का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ है। फैंस न सिर्फ दुखी हैं बल्कि कई सवाल भी कर रहे हैं। किसी ने पूछा, “करीना इतनी भावुक क्यों हैं?” तो किसी ने कहा, “क्या करीना और संजय कपूर के बीच गहरा रिश्ता था?” कुछ लोगों ने यह भी पूछा, “क्या करिश्मा और संजय के तलाक के बाद भी परिवार में जुड़ाव बना रहा?” इन सवालों से साफ है कि दर्शक इस दुख को सिर्फ एक हादसा नहीं मान रहे बल्कि इससे जुड़े रिश्तों और भावनाओं को भी समझने की कोशिश कर रहे हैं।
अचानक गई ज़िंदगी, एक पल ने बदल दी तस्वीर
संजय कपूर की मौत 12 जून को लंदन में पोलो खेलते समय हुई। बताया गया कि खेल के दौरान उनके मुंह में एक मक्खी चली गई थी जिससे उन्हें असहजता महसूस हुई और तुरंत बाद उन्हें हार्ट अटैक आया। मौके पर ही उनका निधन हो गया। अमेरिका की नागरिकता के चलते कागजी कार्रवाई के बाद उनका शव भारत लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। यह घटना अचानक हुई और सभी को गहरे सदमे में छोड़ गई।
परिवार की चुप्पी में छुपा है दर्द का समंदर
करीना, करिश्मा और सैफ की चुप्पी उस दर्द को बयान करती है जिसे शब्दों में पिरोना मुश्किल है। भले ही करिश्मा और संजय का रिश्ता टूट चुका था, लेकिन एक परिवार के रूप में यह घटना सभी को झकझोर गई। करीना और सैफ का इस दुख में परिवार के साथ खड़ा होना यह दिखाता है कि भावनाएं रिश्तों से ऊपर होती हैं। इस घटना ने एक बार फिर यह सिखाया कि दुख की घड़ी में साथ होना ही सबसे बड़ी ताकत है।