Airtel: लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यम की सैलरी में इस साल बड़ा इजाफा हुआ है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में उनकी कुल सैलरी बढ़कर 76.25 करोड़ रुपये हो गई है। सुब्रमण्यम ने हाल ही में यह बयान दिया था कि लोगों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए। ऐसे में अब उनके वेतन में आई यह भारी बढ़ोतरी चर्चा का विषय बन गई है। पिछले वर्ष की तुलना में यह 50 फीसदी की बढ़ोतरी मानी जा रही है।
भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल की सैलरी में मामूली इजाफा
वहीं दूसरी ओर भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल की सैलरी में सिर्फ 0.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में उनका कुल पैकेज 32.5 करोड़ रुपये रहा। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार इस पैकेज में 21.57 करोड़ रुपये की सैलरी और अलाउंसेज, 7.5 करोड़ का परफॉर्मेंस बोनस और 3.48 करोड़ रुपये अन्य लाभ शामिल हैं। पिछले वर्ष उनका कुल पैकेज 32.27 करोड़ रुपये था जो इस साल बढ़कर 32.56 करोड़ हो गया।
गोपाल विट्टल को 9.1 फीसदी का वेतनवृद्धि बोनस
कंपनी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल की सैलरी में इस बार सबसे बड़ा उछाल देखने को मिला है। उनका पैकेज 18.55 करोड़ रुपये से बढ़कर 20.24 करोड़ रुपये हो गया है जो कि 9.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। उन्हें पिछले वर्ष परफॉर्मेंस बोनस के रूप में 10.3 करोड़ रुपये मिले थे और इस साल भी यह बोनस लगभग उसी के आसपास रहा है। यह वृद्धि उनकी कार्यक्षमता और कंपनी के ऑपरेशनल प्रदर्शन को दर्शाती है।
विदेश से भी मिला मित्तल को खास बोनस
कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार सुनील मित्तल को एयरटेल की विदेशी सब्सिडियरी i2i (UK) लिमिटेड से 22 लाख ब्रिटिश पाउंड का अलग से पैकेज मिला है। यह अतिरिक्त राशि उनके अंतरराष्ट्रीय दायरे और ग्लोबल ऑपरेशंस में हिस्सेदारी को दर्शाता है। इससे यह साफ होता है कि एयरटेल अपने ग्लोबल विस्तार को लेकर गंभीर है और मित्तल की भूमिका इसमें अहम मानी जा रही है।
वेतन में बदलाव का मतलब और कंपनी की रणनीति
भले ही सुब्रमण्यम की सैलरी में भारी उछाल हुआ हो या मित्तल की सैलरी में मामूली बदलाव हुआ हो पर इन सबका सीधा संबंध कंपनी के प्रदर्शन और रणनीति से है। जहां सुब्रमण्यम का 90 घंटे काम का बयान विवादों में रहा वहीं मित्तल और विट्टल की सैलरी में हुआ बदलाव एयरटेल की ग्रोथ और बाजार की प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है। इन टॉप लीडर्स की सैलरी में बदलाव से साफ है कि कंपनियां अब प्रदर्शन और नेतृत्व को ही सबसे ऊपर मानती हैं।