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Friday, March 14, 2025
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Sajjan Kumar को उम्रकैद की सजा, जानिए 1984 सिख दंगों की पूरी टाइमलाइन

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े सरस्वती विहार हिंसा मामले में Sajjan Kumar को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह दूसरी बार है जब सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा दी गई है। इससे पहले भी वे दिल्ली कैंट मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं।

मौत की सजा की मांग की गई थी

दिल्ली पुलिस और पीड़ितों ने इस मामले को ‘रेरेस्ट ऑफ द रेयर’ (सबसे जघन्य अपराधों) की श्रेणी में रखा और सज्जन कुमार के लिए मौत की सजा की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।

1984 में सिखों का नरसंहार हुआ था – पुलिस ने कोर्ट में कहा

कोर्ट में लिखित दलीलों में दिल्ली पुलिस ने कहा कि यह मामला निर्भया कांड से भी ज्यादा गंभीर है। निर्भया कांड में एक महिला को निशाना बनाया गया था, लेकिन इस मामले में एक विशेष समुदाय को टारगेट किया गया। 1984 में सिखों का नरसंहार एक मानवता के खिलाफ अपराध था।

पिता-पुत्र को जिंदा जलाया गया था

दिल्ली पुलिस ने अपनी दलील में कहा कि इस दंगे में एक विशेष समुदाय को चुनकर निशाना बनाया गया था। यह दंगा समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला था। 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में दो सिखों, जसवंत सिंह और उनके बेटे तरूणदीप सिंह को जिंदा जला दिया गया था।

सरस्वती विहार थाने में दर्ज हुई थी FIR

इस घटना से जुड़ी एफआईआर उत्तर दिल्ली के सरस्वती विहार थाने में दर्ज की गई थी। यह एफआईआर उन शपथ-पत्रों के आधार पर दर्ज की गई थी, जो पीड़ितों ने रंगनाथ मिश्रा आयोग के सामने दिए थे।

क्या था 1984 का सिख विरोधी दंगा?

1984 में भारत में सिख विरोधी दंगे हुए थे, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे। इंदिरा गांधी को उनके ही दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मार दी थी, जिसके बाद पूरे देश में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी।

Sajjan Kumar को उम्रकैद की सजा, जानिए 1984 सिख दंगों की पूरी टाइमलाइन

1984 दंगों की मुख्य बातें:

  • तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को हत्या कर दी गई थी।
  • उनकी हत्या के अगले ही दिन 1 नवंबर 1984 को दिल्ली सहित कई राज्यों में दंगे भड़क उठे।
  • इन दंगों में पूरे देशभर में 3,500 से अधिक सिखों की हत्या कर दी गई।
  • दंगों की जांच के लिए नानावटी आयोग का गठन किया गया।
  • कई वर्षों तक चली जांच के बावजूद बहुत कम दोषियों को सजा मिली।

1984 सिख दंगों की पूरी टाइमलाइन

 

  • 31 अक्टूबर 1984: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
  • 1 नवंबर 1984: इंदिरा गांधी की हत्या के अगले ही दिन दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। दिल्ली, कानपुर, भोपाल और कई अन्य शहरों में सिख समुदाय को निशाना बनाया गया।
  • 2-4 नवंबर 1984: तीन दिनों तक राजधानी दिल्ली में लगातार सिखों के घरों, गुरुद्वारों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जलाया जाता रहा। हजारों सिख मारे गए।
  • मई 2000: सरकार ने सिख दंगों की जांच के लिए जी.टी. नानावटी आयोग का गठन किया।
  • 24 अक्टूबर 2005: नानावटी आयोग की सिफारिशों के आधार पर सीबीआई ने सिख दंगों से जुड़े मामलों में केस दर्ज किया।
  • 1 फरवरी 2010: सज्जन कुमार और कई अन्य नेताओं के खिलाफ समन जारी किया गया।
  • 30 अप्रैल 2013: राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया, जिसके बाद सिख समुदाय में नाराजगी देखी गई।

17 दिसंबर 2018: दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

सज्जन कुमार को दूसरी बार उम्रकैद की सजा

अब एक बार फिर राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार को सरस्वती विहार हिंसा मामले में दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। इससे पहले भी वे दिल्ली कैंट मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं।

सरकार की लापरवाही और न्याय में देरी

1984 के दंगों को लेकर देश में कई बार यह सवाल उठते रहे हैं कि दोषियों को सजा देने में इतनी देरी क्यों हुई? कई पीड़ित परिवार आज भी न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

नानावटी आयोग और अन्य जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के बावजूद कई राजनीतिक नेताओं को बचाने की कोशिशें की गईं। हालाँकि, बाद में अदालतों के आदेश के बाद कुछ दोषियों को सजा मिली।

1984 के दंगे – क्या बदला आज?

  • 1984 के दंगों को आज लगभग 40 साल हो चुके हैं, लेकिन कई पीड़ित परिवार अब भी न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
  • राजनीतिक दलों पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने दंगों का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की।
  • हाल के वर्षों में अदालतों ने कई दोषियों को सजा दी, जिससे कुछ पीड़ित परिवारों को थोड़ी राहत मिली।

1984 का सिख विरोधी दंगा भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय है। हजारों निर्दोष सिख मारे गए, लेकिन लंबे समय तक दोषियों को सजा नहीं मिली। हालाँकि, हाल के वर्षों में अदालतों ने सख्त फैसले सुनाए हैं।

सज्जन कुमार को अब दूसरी बार उम्रकैद की सजा मिली है, जो न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। फिर भी, न्याय में हुई देरी यह सवाल उठाती है कि क्या देश में भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है?

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