Rishabh Shukla: फरीदाबाद की एक गली में रहने वाले शुक्ला जी को कभी अंदाज़ा भी नहीं था कि उनका बेटा जिन सपनों के लिए मोहल्ला हंसी उड़ाता था उन सपनों को पाने के लिए कितनी लड़ाइयां लड़ रहा था। अधूरे सपने बड़े सपने और घर की ज़िम्मेदारियां सब कुछ उसके सिर पर था। जब चाय के एक कप के लिए भी पैसे न हों तब समझ आता है कि जो सपने खूबसूरत दिखते हैं उन्हें पूरा करने में कितनी मेहनत लगती है।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई और थिएटर का संघर्ष
बारहवीं के बाद ऋषभ ने एक्टिंग में करियर बनाने का मन बना लिया था लेकिन समाज क्या कहेगा इस डर से इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। उसे लगा था कि पढ़ाई के साथ थिएटर कर लेगा पर कॉलेज में थिएटर था ही नहीं। फिर उसकी मुलाकात अशिष अरोड़ा से हुई और उन्होंने कॉलेज में ‘पैग़ाम’ नाम से थिएटर सोसायटी बना दी।
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मुंबई का संघर्ष और माता-पिता की चिंता
2018 में पढ़ाई पूरी करने के बाद ऋषभ को एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी मिल सकती थी पर उसने सपना पूरा करने के लिए मुंबई जाने का फैसला किया। माता-पिता को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया पर वह सबके खिलाफ जाकर मुंबई में स्ट्रगल करने लगा। किराए के छोटे से कमरे में सात आठ लोगों के साथ रहकर कभी कभी चाय के पैसे भी नहीं होते थे।
जिम्मेदारियों के बीच कंटेंट क्रिएशन की शुरुआत
मुंबई में संघर्ष के बावजूद जब उसे ऑडिशन का मौका नहीं मिला तो वह वापस लौट आया और कंटेंट क्रिएशन का रास्ता अपनाया। शुरुआत में बीपीओ में नौकरी की और तीन महीने की सैलरी से पहला स्मार्टफोन खरीदा। फिर अपनी फील्ड में नौकरी करते हुए कंटेंट बनाना शुरू किया और उसका एक ड्राफ्ट वीडियो वायरल हो गया।
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नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड तक का सफर
साल 2024 में जब पहला नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड घोषित हुआ तो ऋषभ का नाम भी उसमें था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद यह अवॉर्ड दे रहे थे। भले ही वह अवॉर्ड न जीत सका हो पर वहां तक पहुंचना ही उसके लिए बड़ी बात थी। आज इंस्टाग्राम पर उसके आठ लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं और उसकी ‘टिची गैंग’ के वीडियो लोग खूब पसंद करते हैं।