भारत के रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने चीन के क़िंगदाओ शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में उन्होंने आतंकवाद, शांति और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत का सशक्त पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हैं। इन समस्याओं की जड़ आतंकवाद, कट्टरता और उग्रवाद है। राजनाथ सिंह के भाषण ने यह साफ कर दिया कि भारत अब चुप बैठने वाला नहीं है।
पहलगाम हमले की दिल दहला देने वाली याद
राजनाथ सिंह ने 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इस हमले में ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ नाम के आतंकी संगठन ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया था। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। आतंकियों ने पीड़ितों से पहले उनका धर्म पूछा और फिर गोलियां चला दीं। यह हमला न केवल भारत बल्कि मानवता के खिलाफ एक निंदनीय अपराध था।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की निर्णायक कार्रवाई
इस हमले के बाद भारत ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया। इसका मकसद सीमा पार मौजूद आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करना था। रक्षा मंत्री ने इस ऑपरेशन का जिक्र करते हुए बताया कि भारत ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाया। ऑपरेशन सिंदूर एक संदेश था कि भारत अब हर हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा। आतंक के अड्डों को भारत की सुरक्षा के लिए अब कहीं भी सुरक्षित नहीं रहने दिया जाएगा।
#WATCH | Qingdao, China | At the SCO Defence Ministers' meeting, Defence Minister Rajnath Singh says, "On 22 April 2025, the terror group 'The Resistance Front' carried out a dastardly and heinous attack on innocent tourists at Pahalgam in the Indian state of Jammu and Kashmir.… pic.twitter.com/RKBy9tRK4x
— ANI (@ANI) June 26, 2025
पाकिस्तान पर बिना नाम लिए सीधा निशाना
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में पाकिस्तान का नाम तो नहीं लिया लेकिन कटाक्ष साफ नजर आया। उन्होंने कहा कि कुछ देश अब भी सीमा पार आतंकवाद को नीति के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकियों को शरण देते हैं। एससीओ जैसे संगठनों को इन दोहरे मानकों को लेकर चुप नहीं रहना चाहिए। भारत का स्पष्ट मत है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता और ऐसे देशों की आलोचना जरूरी है जो इसे परोक्ष या अपरोक्ष रूप से समर्थन देते हैं।
सहयोग और संवाद ही है भविष्य का रास्ता
अपने संबोधन के अंत में रक्षा मंत्री ने वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी देश चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो अकेले वैश्विक चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकता। भारत इस दिशा में ‘सर्वे जना सुखिनो भवन्तु’ की सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। राजनाथ सिंह ने बेलारूस को एससीओ का नया सदस्य बनने पर बधाई दी और कहा कि बदलते वैश्विक माहौल में सभी देशों को मिलकर चलना होगा।