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Saturday, September 13, 2025
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Odisha के रेंजर के घर छापा! चौंकाने वाली बरामदगी ने हिलाया पूरा प्रशासन

Odisha के कोरापुट जिले में भ्रष्टाचार निरोधक सतर्कता विभाग ने शुक्रवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए जेपोर वन रेंज के डिप्टी रेंजर रामचंद्र नेपक के घर से 1.43 करोड़ रुपये नकद बरामद किए। ये रकम उनके फ्लैट के भीतर बने एक गुप्त चैंबर से मिली। जांच के दौरान जब उस चैंबर को खोला गया तो अफसर भी हैरान रह गए क्योंकि उसमें नोटों के बंडल छुपाकर रखे गए थे। नोटों की गिनती के लिए मशीनें मंगाई गईं और देर रात तक यह सिलसिला चलता रहा।

सोना-चांदी और करोड़ों की संपत्ति भी जब्त

नकदी के अलावा उनके पास से 1.5 किलो सोना और 4.63 किलो चांदी भी बरामद हुई। इसके साथ ही चार सोने की बिस्किट, 16 सोने के सिक्के और दो महंगी प्लॉट की रजिस्ट्री भी मिली। जांच अधिकारियों के अनुसार, रामचंद्र नेपक के पास एक बहुमंजिला इमारत, तीन फ्लैट, दो कारें और 1.33 करोड़ रुपये की बैंक डिपॉजिट भी है। इसके अलावा उनके पास 15 लाख रुपये से अधिक के घरेलू सामान भी मौजूद थे।

Odisha के रेंजर के घर छापा! चौंकाने वाली बरामदगी ने हिलाया पूरा प्रशासन

छापेमारी के लिए छह जगहों पर चला ऑपरेशन

सतर्कता विभाग ने रामचंद्र नेपक के खिलाफ संपत्ति के स्रोतों से अधिक आय रखने के मामले में एक साथ छह जगहों पर छापेमारी की। इनमें उनका पुश्तैनी घर (एनकेटी रोड, जेपोर), गोल्डन हाइट्स अपार्टमेंट के दो फ्लैट, उनके भाई का फ्लैट (भुवनेश्वर), ससुराल का घर (सोंबर टोला) और उनका कार्यालय (जेपोर फॉरेस्ट रेंज) शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह गुप्त तरीके से की गई ताकि कोई सबूत नष्ट न हो सके।

रेंजर का वेतन और बहाना

रामचंद्र नेपक की सरकारी मासिक आय केवल ₹76,880 (नेट ₹69,680) है। फिर भी उनके पास करोड़ों की संपत्ति और महंगी गाड़ियां हैं। इस पर सफाई देते हुए नेपक ने दावा किया कि यह सारी संपत्ति उनकी पत्नी और बेटे की है जो व्यवसाय करते हैं। वहीं सोने-चांदी के बारे में उनका कहना है कि यह सब शादी में गिफ्ट के तौर पर मिला था। लेकिन अधिकारियों को इस सफाई पर यकीन नहीं है और जांच जारी है।

क्या अब होगी गिरफ्तारी?

इतनी भारी संपत्ति और नकदी मिलने के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या रामचंद्र नेपक को गिरफ्तार किया जाएगा। सतर्कता विभाग की प्रारंभिक जांच में यह संपत्ति उनकी ज्ञात आय के मुकाबले कई गुना अधिक पाई गई है। विभाग की रिपोर्ट तैयार होने के बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है। यह मामला ओडिशा में सरकारी भ्रष्टाचार की एक और बड़ी परत खोलता है।

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