भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के दौरे से पहले राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। तिरुपति में सत्या साईं बाबा के तीर्थ स्थल पर बुधवार को प्रधानमंत्री के दौरे से पहले तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी DMK के एक नेता ने पीएम मोदी को जान से मारने की धमकी दे दी। इस धमकी का वीडियो वायरल होते ही राजनीति में हड़कंप मच गया। बीजेपी के तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष नयनार नागेंद्रन ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है।
DMK नेता ने क्या कहा था?
तेनकासी जिले में SIR के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन के दौरान DMK के साउथ डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी जयपलन ने पीएम मोदी को नर्कसुर से तुलना करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से जानलेवा धमकी दी। उन्होंने कहा, “मोदी आपके वोट चुराने के लिए बेताब हैं। वे एक और नर्कसुर हैं। केवल उन्हें खत्म करके ही तमिलनाडु का भला हो सकता है। हमें इस लड़ाई को एकजुट होकर लड़ना है और जीतना है।” इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में तूल पकड़ लिया है और इसके बाद BJP ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

BJP का कड़ा रुख और DMK पर निशाना
तमिलनाडु BJP के अध्यक्ष नयनार नागेंद्रन ने कहा कि देश के एक ऐसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे नेता को जान से मारने की धमकी देना कानून और व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाता है। उन्होंने विशेष रूप से उस वक्त मौजूद तेनकासी सांसद रानी श्रीकुमार और शंकरनकोविल विधायक राजा की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। नागेंद्रन ने कहा कि DMK पार्टी की हिंसक और क्रूर प्रवृत्ति इस बात से स्पष्ट हो जाती है। उन्होंने DMK सरकार से अपील की कि जयपलन को तुरंत गिरफ्तार किया जाए ताकि प्रधानमंत्री की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी का दौरा और कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बुधवार को आंध्र प्रदेश के पुत्तपर्थी स्थित सत्या साईं बाबा के पवित्र स्थल का दौरा निर्धारित है। इसके बाद वे तमिलनाडु के कोयंबटूर जाएंगे जहां वे साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही पीएम मोदी PM-किसान योजना के तहत किसानों को 21वीं किस्त भी जारी करेंगे। इस दौरे को लेकर तमिलनाडु में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं ताकि उनकी यात्रा सुरक्षित और सफल रहे।
राजनीतिक तनाव के बीच सुरक्षा की चुनौती
पीएम मोदी को धमकी देने वाले बयान ने राजनीतिक माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती है कि वे प्रधानमंत्री की सुरक्षा को पूरी तरह से सुनिश्चित करें। साथ ही यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि ऐसे नेताओं पर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इस पूरे मामले ने राजनीतिक दलों के बीच विवाद और बढ़ा दिया है। जनता की निगाहें अब सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर टिकी हैं कि वे इस गंभीर स्थिति से कैसे निपटेंगे।

