PM Modi मंगलवार को सेमिकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने सोमवार को जारी बयान में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को CEO राउंडटेबल में भी शामिल होंगे। इस तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन तकनीकी नवाचार, निवेश और उद्योग के भविष्य को ध्यान में रखकर किया गया है। भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स और अर्धचालक उद्योग में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सम्मेलन के प्रमुख सत्र और थीम
सेमिकॉन इंडिया 2025 में तीन दिनों तक विभिन्न सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सत्रों में सेमीकंडक्टर कार्यक्रम की प्रगति, फैब और उन्नत पैकेजिंग परियोजनाओं पर चर्चा होगी। साथ ही, अनुसंधान एवं विकास और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में नवाचार पर भी ध्यान दिया जाएगा। निवेश के अवसरों और राज्य स्तर पर नीति क्रियान्वयन पर विशेष सत्र होंगे। इन सत्रों का उद्देश्य उद्योग, शोध और सरकारी नीतियों के बीच सहयोग बढ़ाना और भारत को अर्धचालक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।
अंतरराष्ट्रीय भागीदारी और सहभागिता
इस कार्यक्रम में 20,750 से अधिक प्रतिभागी शामिल होंगे। इसमें 48 देशों से 2,500 से अधिक प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेंगे। यह अंतरराष्ट्रीय सहभागिता भारत को वैश्विक अर्धचालक मानचित्र पर मजबूत स्थिति दिलाने में मदद करेगी। पिछले वर्षों में Bengaluru, Gandhinagar और Greater Noida में आयोजित सम्मेलन ने भारत को अर्धचालक डिजाइन, निर्माण और तकनीकी विकास के केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बार भी उच्च तकनीकी विशेषज्ञ और उद्योगपति नई संभावनाओं और सहयोग के अवसरों की खोज करेंगे।
भारत में अर्धचालक उद्योग का विकास
भारत में अर्धचालक उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। सरकार ने निवेश और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विशेष नीतियां लागू की हैं। सेमिकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मंच है। यहाँ उद्योग के विशेषज्ञ, नीति निर्माता और निवेशक मिलकर भारत में अर्धचालक निर्माण और डिजाइन को सुदृढ़ करने के उपायों पर चर्चा करेंगे। इससे भारत में रोजगार सृजन और तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी बल मिलेगा।
भविष्य की संभावनाएँ और महत्व
सेमिकॉन इंडिया 2025 केवल एक सम्मेलन नहीं बल्कि भारत के तकनीकी भविष्य की दिशा तय करने वाला मंच है। इस सम्मेलन से न केवल निवेश बढ़ेगा बल्कि नई परियोजनाओं और अनुसंधान के लिए रास्ते खुलेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी इस पहल को और भी प्रभावशाली बनाएगी। आने वाले वर्षों में भारत अर्धचालक क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर कदम बढ़ा सकता है। इस सम्मेलन का परिणाम न केवल उद्योग बल्कि आम जनता और युवा पेशेवरों के लिए भी प्रेरणादायक होगा।