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Friday, March 14, 2025
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Pulwama Attack की बरसी पर PM मोदी और अमित शाह की श्रद्धांजलि

Pulwama Attack: आज, यानी 14 फरवरी को, पुलवामा में हुए एक बड़े आतंकवादी हमले की छठी वर्षगांठ है। इस हमले में कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जिनकी शहादत को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्रद्धांजलि अर्पित की। यह हमला 2019 में हुआ था, और उस दिन भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।

पुलवामा हमले पर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “मैं पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आने वाली पीढ़ी इस शहीद सैनिकों के बलिदान और वीरता को कभी नहीं भुलाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत आतंकवादियों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा और उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की सहनशीलता नहीं दिखाई जाएगी।

अमित शाह का बयान

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पुलवामा हमले की छठी वर्षगांठ पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, “इस दिन, 2019 में पुलवामा में हुए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवानों को मैं दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आतंकवाद पूरे मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है और पूरी दुनिया इस पर एकजुट है।”

अमित शाह ने यह भी कहा कि चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक, मोदी सरकार आतंकवादियों को समाप्त करने के लिए ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत अभियान चला रही है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारतीय सरकार आतंकवादियों को कभी भी बख्शने का इरादा नहीं रखती और हर स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पुलवामा हमला: 14 फरवरी 2019 की यादें

2019 में 14 फरवरी को पुलवामा में पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों से भरी एक बस को निशाना बनाते हुए आत्मघाती हमला किया था। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे, जो कि भारत के लिए एक बड़ा झटका था। इस कायरतापूर्ण हमले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया और भारतीय सैनिकों की वीरता को और भी अधिक सम्मानित किया।

हमले के कुछ ही दिनों बाद, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित आतंकवादी शिविरों पर हवाई हमले किए थे। इस हमले में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों के ठिकानों को पूरी तरह से तबाह कर दिया था।

आतंकवाद के खिलाफ भारत की संकल्प शक्ति

प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह दोनों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की संकल्प शक्ति को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत अपने शहीद सैनिकों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देगा और आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को कभी नहीं रोकेगा। यह संदेश दिया गया कि आतंकवादियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की सहनशीलता नहीं दिखाई जाएगी और आतंकवादियों को हर हाल में नष्ट किया जाएगा।

भारत की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत, चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक, हर बार आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी। भारत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी आतंकवादी भारतीय सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमला न करे और उनके खिलाफ पूरी शक्ति से कार्रवाई की जाएगी।

दुनिया भर में आतंकवाद का विरोध

अमित शाह ने यह भी कहा कि आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है और पूरी दुनिया आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है। भारत इस लड़ाई में अकेला नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना होगा। आतंकवाद से लड़ने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग की जरूरत है और भारत इस दिशा में अपनी भूमिका निभा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने यह भी कहा कि पुलवामा हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया से यह साबित हो गया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी कीमत पर खड़ा रहेगा। भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना की कार्रवाई ने आतंकवादियों को यह संदेश दिया कि अब भारत उनकी किसी भी कार्रवाई का कड़ा जवाब देगा।

पुलवामा हमले का असर और शहीदों का बलिदान

पुलवामा हमले के बाद, भारतीय जनता और भारतीय सुरक्षा बलों ने यह संकल्प लिया था कि आतंकवाद को हर हाल में समाप्त किया जाएगा। पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 जवानों का बलिदान हमेशा याद किया जाएगा। उनके साहस और बलिदान को भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा।

शहीदों का यह बलिदान न केवल उनके परिवारों के लिए एक बड़ी हानि थी, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक दुखद घटना थी। फिर भी, इन शहीदों की वीरता ने भारतीय समाज और भारतीय सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खिलाफ और भी मजबूत बना दिया है।

पुलवामा हमले की छठी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत स्थिति को स्पष्ट किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रखेगा और आतंकवादियों को कभी भी बख्शा नहीं जाएगा। यह दिन भारतीय इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में याद रखा जाएगा, लेकिन इसके साथ ही यह भारतीय वीरता और बलिदान का प्रतीक भी बनेगा।

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