PLI scheme: वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में सैमसंग की एक्सपोर्ट वैल्यू लगभग 950 मिलियन डॉलर रही जो कि पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत कम है। मार्च 2025 तिमाही में यह आंकड़ा 1.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था जबकि जून 2025 तिमाही में भी यह 1.17 बिलियन डॉलर रहा था। इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह PLI स्कीम का खत्म होना माना जा रहा है जिससे अब सैमसंग को उत्पादन पर मिलने वाले इंसेंटिव का लाभ नहीं मिल रहा।
PLI स्कीम खत्म होने से क्यों बढ़ी टेंशन
भारत सरकार की PLI यानी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम को स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 5 साल के लिए लागू किया गया था जो 2020 से 2025 तक रही। सैमसंग को 2021-22 में कोविड के कारण लक्ष्य पूरा न कर पाने पर इंसेंटिव नहीं मिला और अब स्कीम की वैधता पूरी हो चुकी है। कंपनी चाहती है कि उसे 2026 में फिर से मौका दिया जाए ताकि 2022 की भरपाई की जा सके।
चीन और वियतनाम से मुकाबले में पिछड़ता भारत
भारत में मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वियतनाम से 10 प्रतिशत और चीन से 15 प्रतिशत अधिक है। जब तक PLI स्कीम का फायदा मिल रहा था तब तक कंपनियों को यह लागत अंतर झेलने में थोड़ी राहत मिलती थी। लेकिन अब इंसेंटिव बंद हो जाने से भारत में मैन्युफैक्चरिंग महंगी साबित हो सकती है और कंपनियां चीन या वियतनाम का रुख कर सकती हैं। इससे भारत की ग्लोबल कंपटीशन पोजिशन को खतरा है।
एप्पल और डिक्सन भी हो सकते हैं बाहर
सिर्फ सैमसंग ही नहीं बल्कि FY26 के बाद एप्पल और डिक्सन टेक्नोलॉजीज को भी PLI स्कीम से बाहर होना पड़ेगा। डिक्सन भारत में मोटोरोला, गूगल और शाओमी के लिए फोन बनाती है। अगर ये कंपनियां भी इंसेंटिव न मिलने के कारण एक्सपोर्ट में कटौती करती हैं तो भारत का स्मार्टफोन एक्सपोर्ट हब बनने का सपना अधूरा रह सकता है।
सरकार की नई पहल और आगे की उम्मीदें
सरकार ने माना है कि इंसेंटिव न मिलने से भारत की प्रतिस्पर्धा कमजोर होती है लेकिन अभी तक स्कीम बढ़ाने पर कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है। हालांकि सरकार ने एक नई 22,919 करोड़ रुपये की कंपोनेंट PLI स्कीम शुरू की है जिससे भारत में लोकल वैल्यू एडिशन को बढ़ावा मिलेगा। अब देखना होगा कि सरकार सैमसंग और अन्य कंपनियों को राहत देने के लिए आगे क्या कदम उठाती है।