Nishikant Dubey: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 1991 में जब कांग्रेस समर्थित सरकार थी तब भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण सैन्य सूचना साझा करने का समझौता हुआ था। निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी से पूछा कि क्या यह समझौता देशद्रोह की श्रेणी में आता है।
एक्स पर साझा की गई समझौते की कॉपी
निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर उस समझौते की कॉपी साझा की है। इसमें साफ लिखा है कि भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के साथ किसी भी सैन्य गतिविधि जैसे हमले या सेना की आवाजाही की जानकारी साझा करेंगे। दुबे ने पूछा कि अगर ऐसा करना देशद्रोह है तो क्या यह कांग्रेस सरकार का काम नहीं था।
राहुल गांधी @RahulGandhi जी यह आपकी बनाई हुई सरकार के समय का समझौता है ।1991 में आपकी पार्टी समर्थित सरकार ने यह समझौता किया कि किसी भी आक्रमण या सेना के मूवमेंट की जानकारी का आदान प्रदान भारत व पाकिस्तान एक दूसरे से करेगा।क्या यह समझौता देशद्रोह है? कांग्रेस का हाथ पाकिस्तानी… pic.twitter.com/Me8XFHm0da
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) May 23, 2025
पाकिस्तानी वोट बैंक से कांग्रेस का रिश्ता
निशिकांत दुबे ने अपने पोस्ट में लिखा कि राहुल गांधी जी यह समझौता आपकी सरकार के समय हुआ था। 1991 में आपकी पार्टी की सरकार ने यह वादा किया था कि भारत और पाकिस्तान सैन्य गतिविधियों की जानकारी एक-दूसरे को देंगे। क्या यह देशद्रोह है। क्या कांग्रेस पार्टी पाकिस्तानी वोट बैंक के साथ मिली हुई है।
क्या था 1991 का समझौता
साल 1991 में भारत और पाकिस्तान के बीच ‘एग्रीमेंट ऑन एडवांस नोटिफिकेशन ऑफ मिलिट्री एक्सरसाइजेस मैनूवर्स एंड ट्रूप मूवमेंट्स’ नामक समझौता हुआ था। इसका मकसद दोनों देशों के बीच विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा देना था। इसके तहत दोनों देशों को अपने बड़े सैन्य अभ्यास और सैनिकों की आवाजाही की पूर्व सूचना देनी थी।
दूसरा समझौता और उसके नियम
साल 1991 में ही एक और समझौता हुआ जिसका नाम था ‘एग्रीमेंट ऑन प्रिवेंशन ऑफ एयरस्पेस वायोलेशन्स एंड फॉर परमिटिंग ओवरफ्लाइट्स एंड लैंडिंग्स बाय मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स’। इस समझौते का उद्देश्य था कि भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई क्षेत्र का उल्लंघन न हो और सैन्य विमानों को उड़ान और लैंडिंग की अनुमति के लिए नियम तय किए जाएं। यह दोनों समझौते 6 अप्रैल 1991 से लागू हुए और भारत-पाक के बीच सैन्य पारदर्शिता के लिए बेहद अहम थे।