Manipur violence: शुक्रवार की रात मणिपुर के पूर्व मंत्री बिस्वजीत के घर भाजपा के कई विधायक एक साथ जमा हुए। इस बैठक में सभी ने मणिपुर में चल रहे संकट का दीर्घकालिक समाधान जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि इस समाधान के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, समावेशी संवाद, संवैधानिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था के निष्पक्ष समर्थन को आधार बनाया जाना चाहिए। विधायक इस बात पर सहमत हुए कि बिना इन स्तंभों के मणिपुर की स्थिरता संभव नहीं है।
23 विधायकों ने मणिपुर में हुई हिंसा पर की चर्चा
इस बैठक में कुल 23 विधायकों ने हिस्सा लिया और एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें उन्होंने मणिपुर के लोगों द्वारा पिछले दो वर्षों में झेली गई पीड़ा को महसूस किया। उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी प्रतिनिधि होने के नाते वे मानते हैं कि संकट का दीर्घकालिक समाधान न केवल संभव है बल्कि आवश्यक भी है। विधायकगण ने बताया कि इस बैठक में यह विचार भी रखा गया कि राज्यपाल और केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाए कि वे शांति दूत या समिति बनाएँ जो स्थिति को सुधारने में मदद करे।
संवाद और जनप्रिय सरकार की जरूरत पर बल
बैठक में विधायकगण ने नागरिक संगठनों, छात्र संगठनों और आम लोगों के बीच संवाद की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी समुदायों के बीच बातचीत और समझ बढ़ाने की जरूरत है ताकि विश्वास और सहयोग कायम हो सके। साथ ही विधायकों ने यह भी माना कि जनता की यह इच्छा है कि एक लोकप्रिय और स्थिर सरकार बनाई जाए जो सभी के हित में काम करे। इससे मणिपुर की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने में सुधार आ सकेगा।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन और हालात
मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा ने भारी तबाही मचाई है। अब तक 260 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस कारण से तत्कालीन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है और फिलहाल कोई चुनी हुई सरकार नहीं है। ऐसी गंभीर स्थिति में भाजपा विधायकों की यह बैठक और उनके द्वारा दीर्घकालिक समाधान की मांग राज्य की स्थिति सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।