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Thursday, June 26, 2025
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Kapil Dev: क्या आज के क्रिकेटर्स सिर्फ कैमरे के लिए खेलते हैं? Kapil Dev ने खोल दी असली सच्चाई

Kapil Dev: भारत को 1983 में पहली बार विश्व विजेता बनाने वाले महान कप्तान कपिल देव ने एक कार्यक्रम के दौरान ऐसा बयान दे डाला जिससे आज के क्रिकेटर्स पर सवाल खड़े हो गए हैं। जब कपिल देव से पूछा गया कि अगर वह आज के दौर में खेलते तो क्या फर्क होता, तो उन्होंने कहा कि आज के क्रिकेटर्स अद्भुत अभिनेता बन चुके हैं। इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया से लेकर क्रिकेट गलियारों में बहस छेड़ दी है।

कैमरों के सामने की जाती है एक्टिंग

कपिल देव ने साफ कहा कि आज के क्रिकेटर्स जानते हैं कि मैदान में 30 से ज़्यादा कैमरे उनकी हर हरकत को कैद कर रहे हैं। इसलिए वह मैदान पर सिर्फ क्रिकेट नहीं खेलते बल्कि कैमरे के लिए एक्टिंग भी करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले जब कोई बल्लेबाज़ आउट होता था तो वह सीधे ड्रेसिंग रूम जाकर चुपचाप सिर झुकाकर बैठ जाता था। लेकिन आज के खिलाड़ी बल्ला पटकते हैं। वह दिखाते हैं जैसे बहुत बड़ा अन्याय हो गया हो।

 “बेवकूफी भरे शॉट पर क्यों गुस्सा?”

कपिल देव ने कहा कि अगर कोई बल्लेबाज़ आउट होता है तो उसकी गलती होती है। शायद उसने एक गलत या बेवकूफी भरा शॉट खेला हो। ऐसे में गुस्सा दिखाना या बल्ला पटकना दिखावा लगता है। उनका साफ कहना है कि इस तरह का रिएक्शन सिर्फ कैमरे के लिए होता है। क्रिकेट के मैदान को अब एक स्टेज बना दिया गया है, जहां खेल कम और अभिनय ज़्यादा नज़र आता है।

क्रिकेट से ज़्यादा ‘ड्रामा’ पर ध्यान?

पूर्व कप्तान के इस बयान ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या आज का क्रिकेट ड्रामा से भर गया है? सोशल मीडिया, टीवी और ब्रांड्स की चकाचौंध में खिलाड़ी कहीं न कहीं खेल की सादगी और गंभीरता से भटक रहे हैं। कपिल देव ने सीधे तौर पर कहा कि आज के खिलाड़ी बहुत टैलेंटेड हैं लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि क्रिकेट एक अभिनय का मंच नहीं बल्कि अनुशासन और जिम्मेदारी का खेल है।

कपिल देव के बयान की पड़ताल जरूरी

कपिल देव का बयान कड़वा ज़रूर है लेकिन इसके पीछे की सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता। आज का क्रिकेट जितना ग्लैमरस हुआ है उतना ही प्रदर्शन प्रधान भी हो गया है। खिलाड़ियों के जश्न, गुस्से और भावनाओं को कैमरे की निगाह से देखा जाता है। ऐसे में कपिल देव की यह टिप्पणी एक विचार योग्य संदेश है कि क्या आज के क्रिकेटर खेल के मूल्यों को भूलते जा रहे हैं?

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