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Saturday, August 23, 2025
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40 मंज़िला इमारत जितना ऊंचा होगा ISRO का नया रॉकेट! 75 टन पेलोड ले जाने की ताकत, भारत की अंतरिक्ष यात्रा में आने वाला है ऐतिहासिक मोड़

ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने मंगलवार को एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने बताया कि भारत एक ऐसा रॉकेट बना रहा है जिसकी ऊंचाई 40 मंजिला इमारत जितनी होगी और जो 75 हजार किलो यानी 75 टन का पेलोड लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित कर सकेगा। लो अर्थ ऑर्बिट धरती से 600 से 900 किलोमीटर की ऊंचाई पर होता है जहां संचार और अवलोकन उपग्रह भेजे जाते हैं।

 पहला रॉकेट और अब तक का सफर

नारायणन ने इसकी तुलना भारत के पहले रॉकेट से की जिसे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने बनाया था। उन्होंने बताया कि उस समय बने पहले रॉकेट का वजन 17 टन था और वह केवल 35 किलो भार ले जा सकता था। आज भारत ऐसा रॉकेट बनाने की तैयारी कर रहा है जो 75 हजार किलो तक का भार ले जाएगा। यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा का अद्भुत विकास है।

 40 मंज़िला इमारत जितना ऊंचा होगा ISRO का नया रॉकेट! 75 टन पेलोड ले जाने की ताकत, भारत की अंतरिक्ष यात्रा में आने वाला है ऐतिहासिक मोड़

रॉकेट की खासियत और भारत की ताकत

इस रॉकेट की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यह 75 टन का पेलोड लेकर जाएगा। इसमें पूरी तरह स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे भारत की आत्मनिर्भरता और अंतरिक्ष शक्ति दोनों का प्रदर्शन होगा। अमेरिका के 6,500 किलो वजन वाले सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद भारत की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता भी बढ़ी है।

इसरो के आने वाले बड़े मिशन

इस साल इसरो के कई अहम मिशन तय हैं। इनमें ‘नेविगेशन विद इंडिया कॉन्स्टेलेशन सिस्टम’ (NAVIC) सैटेलाइट, N1 रॉकेट और अमेरिकी 6,500 किलो ब्लॉक-2 ब्लूबर्ड सैटेलाइट का प्रक्षेपण शामिल है। इसके अलावा 2035 तक 52 टन का भारतीय स्पेस स्टेशन तैयार करने की योजना है। वहीं शुक्र ग्रह पर भेजे जाने वाले ‘वीनस ऑर्बिटर मिशन’ पर भी काम चल रहा है।

 रक्षा और भविष्य की योजनाएं

इसरो भारतीय सेना के लिए संचार उपग्रह जीसैट-7आर लॉन्च करेगा जो खासतौर पर नौसेना के लिए डिजाइन किया गया है और पुराने जीसैट-7 (रुक्मिणी) की जगह लेगा। साथ ही टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन सैटेलाइट (TDS) नए प्रयोगों को परखेगा। यह भविष्य के मिशनों की नींव बनेगा। इसरो का अगला जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) भी विकसित किया जा रहा है जिसका पहला चरण पुन: प्रयोज्य होगा।

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