Indore MY Hospital: मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) से निकल रही तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यहां अस्पताल में भर्ती दूसरी नवजात बच्ची की मौत हो गई, जिस पर चूहों ने हमला किया था। यह बच्ची महज 8 दिन की रिहाना थी, जिसके हाथ-पांव चूहों ने काट लिए थे। इससे पहले मंगलवार को भी एक नवजात बच्ची की मौत हो चुकी थी। इस घटना का खुलासा तब हुआ जब अस्पताल के वॉर्ड में चूहों के खुलेआम घूमने का वीडियो सामने आया।
अस्पताल प्रशासन का दावा – बीमारी से हुई मौत
एमवायएच के डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ. जितेंद्र वर्मा ने कहा कि नवजात बच्ची का निधन चूहों के हमले से नहीं, बल्कि सेप्टीसीमिया (खून का संक्रमण) से हुआ है। उन्होंने बताया कि बच्ची का वजन मात्र 1.60 किलो था और उसे जन्म से ही कई गंभीर बीमारियां थीं, जिनमें आंत की खराबी भी शामिल थी। उसका सात दिन पहले ऑपरेशन किया गया था और हालत पहले से ही गंभीर थी। डॉक्टरों का कहना है कि चूहों ने केवल उसके हाथ की दो उंगलियों पर हल्की खरोंचें दी थीं, जबकि मौत संक्रमण के कारण हुई। परिवार की इच्छा पर बच्ची का पोस्टमॉर्टम नहीं कराया गया।
नवजातों पर तो रहम करो सरकार…!
इंदौर के एमवाय अस्पताल का हाल देखिए—एनआईसीयू में मासूम नवजातों को चूहे कुतर रहे हैं और भाजपा सरकार पाँच साल से पेस्ट कंट्रोल तक नहीं करा पाई!
यह सिर्फ लापरवाही नहीं, नरसंहार है। अस्पताल जिन्दगी बचाने के लिए बने हैं, लेकिन भाजपा ने उन्हें मौत का… pic.twitter.com/NlHLyscMW9
— Umang Singhar (@UmangSinghar) September 2, 2025
मंगलवार को भी हुई थी एक बच्ची की मौत
इससे पहले मंगलवार को भी चूहों के हमले की शिकार एक और बच्ची की मौत हो गई थी। अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि वह बच्ची निमोनिया संक्रमण से पीड़ित थी और जन्मजात विकृतियों से जूझ रही थी। दोनों बच्चियां पीआईसीयू (PICU) वॉर्ड में भर्ती थीं, जहां बेहद गंभीर हालत वाले नवजात शिशुओं का इलाज किया जाता है। यहां आम लोगों का प्रवेश वर्जित होता है, लेकिन इस सुरक्षित वॉर्ड में चूहों का प्रवेश और बच्चों को काट लेना अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
लापरवाही पर कार्रवाई, निजी फर्म पर जुर्माना
घटना की शुरुआती जांच के बाद अस्पताल प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। दो नर्सिंग अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को पद से हटा दिया गया है। साथ ही, अस्पताल की सफाई, सुरक्षा और पेस्ट कंट्रोल की जिम्मेदारी संभाल रही एक निजी कंपनी पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है और उसे चेतावनी पत्र जारी किया गया है। बावजूद इसके, सवाल उठ रहे हैं कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में ऐसी घटनाएं कैसे हो रही हैं। इस घटना ने न केवल सरकार और प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है बल्कि आम जनता के मन में भी सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गहरी चिंता पैदा कर दी है।