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Saturday, November 1, 2025
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Indira Gandhi Death Anniversary: इंदिरा गांधी की आखिरी स्पीच में मौत का इशारा! बोलीं– ‘मैं आज हूं, कल शायद न रहूं

Indira Gandhi Death Anniversary: आज देश अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दे रहा है। 31 अक्टूबर 1984 की सुबह ने पूरे देश को सन्न कर दिया था जब इंदिरा गांधी को उनके अपने ही अंगरक्षकों ने गोलियों से छलनी कर दिया। उन्हें “आयरन लेडी” कहा जाता था क्योंकि उन्होंने कठिन समय में भी राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा। लेकिन क्या उन्होंने अपनी मौत को पहले ही महसूस कर लिया था? उनके आखिरी भाषण के शब्द यही इशारा देते हैं।

भुवनेश्वर में दिया था आखिरी भाषण

अपनी हत्या से एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी ने ओडिशा के भुवनेश्वर में अपना अंतिम भाषण दिया था। इस भाषण में उन्होंने ऐसे शब्द कहे जिन्होंने सबको विचलित कर दिया। उन्होंने कहा था, “मैं आज यहां हूं, पर शायद कल न रहूं।” इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अगर मैं जीवित न रहूं तो मेरे खून की हर बूंद इस देश को मजबूत करेगी। उनके इन शब्दों ने मानो आने वाले तूफान की भविष्यवाणी कर दी थी।

Indira Gandhi Death Anniversary: इंदिरा गांधी की आखिरी स्पीच में मौत का इशारा! बोलीं– ‘मैं आज हूं, कल शायद न रहूं

लिखी गई स्पीच छोड़ी, अपने दिल की बात कही

जानकारी के अनुसार, इंदिरा गांधी का यह भाषण उनके सूचना सलाहकार एच. वाई. शारदा ने तैयार किया था। लेकिन मंच पर पहुंचते ही इंदिरा ने तैयार भाषण को एक ओर रख दिया और अपने दिल की बात कहना शुरू कर दी। उस दिन का उनका संबोधन पूरी तरह भावनात्मक था। उन्होंने कहा, “मुझे यह फर्क नहीं पड़ता कि मैं जीवित रहूं या नहीं। मैंने लंबा जीवन जिया है और अपने लोगों की सेवा में गर्व महसूस करती हूं।” यह भाषण अब भारतीय इतिहास में अमर हो चुका है।

कुर्बानी की मिसाल बनी इंदिरा गांधी

इंदिरा गांधी का जीवन संघर्ष और समर्पण से भरा हुआ था। वे हमेशा कहती थीं कि उनका जीवन देश की सेवा के लिए समर्पित है। 31 अक्टूबर की सुबह जब वे अपने आवास से बाहर निकलीं तो किसी ने नहीं सोचा था कि कुछ ही पलों में इतिहास बदल जाएगा। उनके अंगरक्षक बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं और कुछ ही मिनटों में देश अपनी सबसे दृढ़निश्चयी नेता को खो बैठा।

उनकी आखिरी वाणी बनी देश की प्रेरणा

आज भी उनके आखिरी भाषण के शब्द हर भारतीय के दिल में गूंजते हैं। “मेरे खून की हर बूंद भारत को मजबूत करेगी” — ये सिर्फ एक पंक्ति नहीं बल्कि एक भावना है जो देशभक्ति का प्रतीक बन गई। इंदिरा गांधी आज भले हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका साहस, नेतृत्व और त्याग भारत की आत्मा में हमेशा जीवित रहेगा।

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