Indian Insurance Industry में एक बड़ा बदलाव होने वाला है। यदि आप LIC, SBI लाइफ या किसी अन्य जीवन बीमा कंपनी के एजेंट हैं, तो आपके कमाई के मॉडल में आने वाले समय में बदलाव हो सकता है। यह बदलाव न केवल एजेंट्स के लिए बल्कि पॉलिसीधारकों के लिए भी राहत लेकर आ सकता है। बीमा क्षेत्र में यह नई व्यवस्था एजेंट कमीशन और वितरण लागत को कम करने पर केंद्रित है।
डिफर्ड कमीशन मॉडल क्या है?
वर्तमान में अधिकांश जीवन बीमा पॉलिसियों में एजेंट को प्रीमियम के पहले साल लगभग 35-40% कमीशन मिलता है। लेकिन नए मॉडल के अनुसार, इस कमीशन संरचना को बदलने का सुझाव दिया गया है। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई 20 साल की टर्म पॉलिसी है, तो पहले साल का कमीशन लगभग 8% तक सीमित किया जाएगा। बाकी कमीशन को 4-5 सालों में किस्तों में दिया जाएगा और यह तभी मिलेगा जब पॉलिसी हर साल रिन्यू होती रहेगी। यानी अब एजेंटों को एक बड़ी राशि एक बार में नहीं मिलेगी, बल्कि धीरे-धीरे भुगतान किया जाएगा। इससे एजेंटों को लंबी अवधि तक पॉलिसीधारकों को जोड़े रखने का प्रोत्साहन मिलेगा।

यह बदलाव क्यों जरूरी है?
बीमा नियामक संस्था IRDAI लगातार कंपनियों पर दबाव बना रही है कि वे अपने खर्चों को कम करें और उत्पादों को ग्राहकों के लिए सस्ता बनाएं। IRDAI का मानना है कि उच्च कमीशन का भार अंततः पॉलिसीधारकों पर पड़ता है। इसलिए, यह बदलाव पॉलिसीधारकों को बेहतर और किफायती बीमा उत्पाद उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। IRDAI ने इस संबंध में एक नौ सदस्यीय समिति भी बनाई है जिसमें उद्योग के वरिष्ठ अधिकारी और वितरण साझेदार शामिल हैं। इस समिति ने उच्च कमीशन और वितरण लागत को कम करने के लिए दिशा-निर्देश बनाने की जिम्मेदारी ली है।
सामान्य और स्वास्थ्य बीमा पर भी ध्यान
IRDAI ने सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से भी पिछले पांच वर्षों के खर्चों का डेटा मांगा है। वर्तमान में सामान्य बीमा में प्रबंधन खर्च की सीमा 30% है और स्वास्थ्य बीमा में यह सीमा 35% तय की गई है। कुछ विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि जो कंपनियां पांच वर्ष से अधिक समय से संचालन कर रही हैं, उनके लिए यह सीमा 5-10% तक घटाई जानी चाहिए। इससे उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहक को बेहतर सुविधाएं और कम खर्च वाला बीमा मिलेगा।
भविष्य में बीमा उद्योग की दिशा
इस बदलाव के बाद बीमा कंपनियों का लक्ष्य होगा कि वे अपने खर्चों को नियंत्रित करके पॉलिसीधारकों को सस्ते और बेहतर उत्पाद उपलब्ध कराएं। एजेंटों को भी लंबी अवधि तक ग्राहक बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे पॉलिसीधारकों को बेहतर सेवा मिल सके। इस नई व्यवस्था से बीमा उद्योग में पारदर्शिता और स्थिरता बढ़ेगी, जो ग्राहक और उद्योग दोनों के लिए लाभकारी होगी। IRDAI की इस पहल से भारतीय बीमा बाजार में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

