Indian Economy: वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बहुत करीब पहुंच गया था। इस सपने को पूरा करने का वक्त अब वित्तीय वर्ष 2025-26 में आ गया है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भरोसा जताया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी भारत को इसी वित्तीय वर्ष चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान दिया है।
जापान की अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ेगा भारत
पिछले वित्तीय वर्ष के अंत तक भारत की अर्थव्यवस्था का आकार चालू मूल्यों पर लगभग 330.68 लाख करोड़ रुपये था, जो डॉलर के लिहाज से लगभग 3.9 ट्रिलियन डॉलर के बराबर है। वहीं, जापान की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 4.19 ट्रिलियन डॉलर या 358 लाख करोड़ रुपये था। भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर पिछले वित्तीय वर्ष में 9.8 प्रतिशत रही जबकि इस वित्तीय वर्ष में यह अनुमानित 10 प्रतिशत है। वहीं जापान की अर्थव्यवस्था का विकास दर मात्र 0.1 प्रतिशत रहा और लगभग यही दर इस वर्ष भी रहने की संभावना है। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था जल्द ही जापान को पीछे छोड़ने वाली है।
निजी खर्च और विनिर्माण में तेजी
वित्तीय वर्ष 2024-25 में निजी खर्च की वृद्धि दर में भी सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 में निजी उपभोग व्यय की वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत थी, जो पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 7.2 प्रतिशत हो गई है। इसी दौरान विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर में भी तेजी देखी गई। जनवरी से मार्च 2025 की तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 4.8 प्रतिशत रही, जो पिछले तिमाहियों के मुकाबले काफी बेहतर है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह दर 3.6 प्रतिशत और जुलाई-सितंबर तिमाही में केवल 2.2 प्रतिशत थी। इसका मतलब यह है कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र भी अब मजबूत गति पकड़ रहा है।
वैश्विक जोखिम और निवेश को लेकर सावधानी जरूरी
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह भी कहा कि विश्व की राजनीतिक स्थिति और वैश्विक वित्तीय बाजार में जोखिम अभी भी बना हुआ है। इसलिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे। अप्रैल 2025 में वस्तु और सेवा निर्यात में क्रमशः 9 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। निर्माण क्षेत्र में जनवरी-मार्च तिमाही में 10.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो पिछली तिमाही की 7.9 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है। देश की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर आधारित है, इसलिए निजी निवेश में बढ़ोतरी की भी उम्मीद है। यह सभी संकेत भारत के आर्थिक विकास की मजबूती को दर्शाते हैं।