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Sunday, November 2, 2025
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Indian Ambassador In UN Harish: भारत ने गूँजाई शांति की पुकार! संयुक्त राष्ट्र में युद्धविराम को बताया एकमात्र हल

Indian Ambassador In UN Harish: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथनेनी हरीश ने मध्य पूर्व की स्थिति पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने खासतौर पर फिलिस्तीन मुद्दे को लेकर चिंता जताई और युद्धविराम लागू करने पर जोर दिया। भारत की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया कि मानवीय संकट को और गहराने से रोकना बेहद जरूरी है। भारत ने यह भी कहा कि बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है जिससे शांति लाई जा सकती है।

भारत का सीधा संदेश: युद्धविराम और बातचीत जरूरी

अम्बेसडर हरीश ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि अगर शांति चाहिए तो सबसे पहले युद्धविराम लागू करना होगा। जिन लोगों को बंधक बनाया गया है उन्हें बिना शर्त रिहा किया जाए। उन्होंने बताया कि भारत ने हमेशा सभी पक्षों को साथ लेकर चलने की नीति अपनाई है और आज भी उसी नीति पर अडिग है। भारत का मानना है कि यह संघर्ष जितना लंबा चलेगा उतनी ही ज्यादा मानवीय क्षति होगी जिसे किसी भी हाल में रोका जाना चाहिए।

मानवता की रक्षा के लिए जरूरी है समय पर मदद

अम्बेसडर हरीश ने यह भी कहा कि जो मानवीय सहायता दी जा रही है उसे सुरक्षित और समय पर पहुंचाना सबसे ज्यादा जरूरी है। मध्य पूर्व में जो भी देश इस संकट से प्रभावित हैं वहां मदद सही तरीके से पहुंचे इसका ध्यान रखना होगा। भारत ने बताया कि सहायता केवल भौतिक वस्तुएं नहीं बल्कि संवेदनशीलता और सामूहिक प्रयास की प्रतीक होती है। यही कारण है कि भारत लगातार इस दिशा में सहयोग कर रहा है।

गाज़ा में तबाही: स्कूल और अस्पताल हुए बर्बाद

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार गाज़ा में 95 प्रतिशत अस्पताल पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं। इसके साथ ही लगभग 6.5 लाख बच्चे बीते 20 महीनों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। यह स्थिति केवल एक युद्ध की नहीं बल्कि आने वाले समय की एक बड़ी पीढ़ी को प्रभावित कर सकती है। भारत ने इस स्थिति को ‘मानवता का संकट’ बताया है और इसे रोकने की अपील की है।

भारत की नीति: साथ चलो और सबको साथ लेकर चलो

अंत में भारत ने यह भी दोहराया कि उसकी विदेश नीति का मूलमंत्र है ‘किसी को पीछे न छोड़ना’। भारत हर मुद्दे पर सबको साथ लेकर चलने की बात करता रहा है और आज भी वही नीति अपनाता है। अम्बेसडर हरीश ने कहा कि युद्ध कभी भी समाधान नहीं होता बल्कि यह और बड़े संकट को जन्म देता है। इसलिए संवाद और सहयोग ही एकमात्र रास्ता है।

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